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श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस: जानिए क्यों कहा जाता है उन्हें ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुरोधा’, PM मोदी, नड्डा और शिवराज ने दी श्रद्धांजलि

महान शिक्षाविद, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर पीएम मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

भारतJun 23, 2025 / 10:01 am

Shaitan Prajapat

प्रखर राष्ट्रवादी विचारक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (प्रतीकात्मक फोटो)

Shyama Prasad Mukherjee Martyrdom Day: भारतीय जनसंघ के संस्थापक, महान शिक्षाविद् और प्रखर राष्ट्रवादी विचारक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर देश भर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान, सांसद बांसुरी स्वराज और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

पीएम मोदी ने किया नमन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर डॉ. मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन। उन्होंने देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए अतुलनीय साहस और पुरुषार्थ का परिचय दिया। राष्ट्र निर्माण में उनका अमूल्य योगदान हमेशा श्रद्धापूर्वक याद किया जाएगा।

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुरोधा: जेपी नड्डा

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुरोधा” बताते हुए कहा कि डॉ. मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने के लिए आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने जनसंघ की स्थापना कर वैकल्पिक राजनीतिक विचारधारा प्रस्तुत की, जो आज भाजपा के रूप में देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी है।

कार्यक्रम में केंद्रीय नेताओं ने किया स्मरण

दिल्ली में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने डॉ. मुखर्जी के राष्ट्रहित में किए गए योगदानों को विस्तार से याद किया। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने उस समय कांग्रेस सरकार की नीतियों से असहमति जताते हुए भी गांधीजी के आह्वान पर स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में सेवा दी। लेकिन विचारधारा की दृढ़ता के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया और जनसंघ की स्थापना की।
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मुखर्जी ने निडर होकर किया नेहरू की नीतियों का विरोध: धर्मेंद्र प्रधान

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, डॉ. मुखर्जी ने निडर होकर पंडित नेहरू की नीतियों का विरोध किया और वैकल्पिक राजनीति की नींव रखी। उनका यह विचार आज भी भाजपा की प्रेरणा है। धारा 370 को हटाकर और राम मंदिर का पुनर्निर्माण कर प्रधानमंत्री मोदी ने उनके सपनों को साकार किया है। उन्होंने हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए इसे भारत की सैन्य शक्ति और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया। साथ ही, दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन को भाजपा की नीति की आत्मा बताया।

रेखा गुप्ता और बांसुरी स्वराज ने भी दी श्रद्धांजलि

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने डॉ. मुखर्जी को भारत की एकता का प्रेरणा स्रोत बताते हुए कहा कि उनके बलिदान को मोदी सरकार ने धारा 370 को हटाकर सच्ची श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी का चिंतन सिर्फ कश्मीर तक सीमित नहीं था, बल्कि शिक्षा, भाषा, लघु उद्योग और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों पर भी उनका दृष्टिकोण अद्वितीय था।
सांसद बांसुरी स्वराज ने भी कार्यक्रम में उपस्थित होकर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “डॉ. मुखर्जी भारतीय विचारधारा के ध्वजवाहक थे। उन्होंने ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे’ का नारा दिया, जो 2019 में धारा 370 हटाकर साकार हुआ। आज कश्मीर विकास के रास्ते पर है, और यह डॉ. मुखर्जी के बलिदान की वजह से संभव हो पाया।”

राष्ट्रभक्ति की अमिट गाथा

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉ. मुखर्जी को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन त्याग, तपस्या और राष्ट्रभक्ति की अमिट गाथा है। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में बढ़ते भारत को उनके विचार निरंतर प्रेरणा देते हैं।
बलिदान दिवस पर आयोजित इन श्रद्धांजलि कार्यक्रमों में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के राष्ट्रहित में समर्पित जीवन, उनके द्वारा शुरू किए गए विचार आंदोलन और आज के भारत में उनके विचारों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।

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