गुजरात में तस्करी के प्रमुख मार्ग
मध्य गुजरातमालवा क्षेत्र के झाबुआ, अलीराजपुर और आसपास के इलाकों से चार मुख्य रास्ते सक्रिय हैं। कट्ठीवाड़ा से कांचला गांव, देवगढ़ बारिया, बड़ा खेड़ा, केवड़ी और कोलियारी गांव की ग्रामीण सड़कों का उपयोग कर शराब लाई जाती है। सीमा के दोनों ओर आदिवासियों की जमीनों पर किराए के गोदाम बनाए गए हैं। तस्करी के लिए गुजरात में रजिस्टर्ड फोर बाय फोर एसयूवी और पिकअप गाड़ियां रात में 40-50 वाहनों के काफिले में सीमा पार करती हैं।
महाराष्ट्र के नासिक, पालघर और नवापुर से शराब नवापुर, भीलाड और सापुतारा के रास्ते दक्षिण गुजरात पहुंचाई जाती है। दमण और सिलवासा के माफिया भी इसमें सक्रिय हैं। तस्करी में छोटे टूरिस्ट वाहनों और मुख्य मार्गों के साथ-साथ घने जंगलों के रास्तों का इस्तेमाल होता है।
राजस्थान से अवैध शराब उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र में भेजी जाती है। रतनपुर, आबूरोड, मंडार और सांचोर जैसे सीमावर्ती रास्तों से छोटे व मध्यम वाहनों के जरिए शराब गुजरात के सीमावर्ती जिलों तक लाई जाती है, जहां से माफिया इसे अहमदाबाद सहित राज्य के अन्य हिस्सों में पहुंचाते हैं।
पंजाब-हरियाणा से आती है शराब की बड़ी खेप
कुछ पुलिस अफसरों की मानें तो पंजाब-हरियाणा से भी बड़े पैमाने पर गुजरात में शराब की आपूर्ति होती है। कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे, जयपुर एक्सप्रेसवे और अमृतसर-जामनगर भारतमाला राजमार्ग समेत अन्य राजमार्गो के जरिए शराब गुजरात पहुंचती है।पुलिस से बचने के तरीके
-तस्करी वाले वाहनों के साथ एस्कॉर्ट वाहन चलते हैं, ताकि खतरा दिखे तो रास्ता बदला जा सके। -अधिकतर गुजरात में रजिस्टर्ड पुराने या चोरी के वाहनों का इस्तेमाल होता है, जिन्हें नाम पर ट्रांसफर नहीं किया जाता।शराब तस्करी के बड़े मामलेः 2024 और 2025
वर्ष 2024-144 करोड़ रुपए की 82 लाख बोतलें विदेशी शराब की जब्त
-6.58 करोड़ रुपए की शराब जनवरी-फरवरी में जब्त, यह पिछले साल की तुलना में डेढ़ गुनी ज्यादा।