इन कंपनियों को भेजा नोटिस
जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने केंद्र
सरकार के साथ-साथ नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, उल्लू, ALTT, एक्स (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट करने और उचित कदम उठाने को कहा।
मामले की पृष्ठभूमि
यह याचिका उदय माहुरकर और अन्य द्वारा दायर की गई थी, जिसमें ओटीटी और
सोशल मीडिया पर यौन सामग्री, नग्नता और अश्लील दृश्यों को प्रतिबंधित करने के लिए कड़े नियम बनाने की मांग की गई। याचिका में सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) की तर्ज पर एक स्वतंत्र समिति गठित करने का सुझाव दिया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और विशेषज्ञ शामिल हों, जो ऐसी सामग्री की निगरानी और प्रमाणन करे।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप को लेकर कोर्ट पर कार्यपालिका और विधायिका के काम में दखल देने का आरोप लगता है, लेकिन यह एक संवेदनशील मुद्दा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि माता-पिता बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल फोन दे देते हैं, जिससे वे अनजाने में ऐसी सामग्री के संपर्क में आ सकते हैं। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि कुछ नियम पहले से मौजूद हैं और अतिरिक्त प्रतिबंधों पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, कोर्ट ने सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अपेक्षा जताई।
इससे पहले भी SC ने दी चेतावनी
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है। फरवरी 2025 में, यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया के एक शो में अश्लील टिप्पणियों के बाद कोर्ट ने केंद्र से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री नियंत्रण के लिए कदम उठाने को कहा था। इसके बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को आयु-आधारित सामग्री वर्गीकरण और स्व-नियमन का पालन करने का निर्देश दिया था।