हालांकि शुल्क बढ़ाने के बाद कंपनियों ने ग्राहक भी गंवाए। केवल बीएसएनएल ने इस दौरान पॉजिटिव ग्रोथ दशाई है। ब्रोकरेज फर्म सीएसएसए का कहना है कि एयरटेल और जियो जैसी कंपनियां वित्त वर्ष 2025-27 के दौरान इंडियन मोबाइल रेवेन्यू में 15 % -18 % की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट हासिल कर सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ बढ़ोतरी से बड़े पैमाने पर सिम कंसोलिडेशन की संभावना नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिम कंसोलिडेशन का एक बड़ा हिस्सा पूरा हो चुका है। ऐसे में उपभोक्ता शायद उतना डाउनग्रेड न करें।
5 साल में 36 प्रतिशत बढ़ सकता है टैरिफ…
बैंक ऑफ अमेरिका का मानना है कि अगले 5 सालों के दौरान भारत में टेलीकॉम आरपीयू 36.4 प्रतिशत बढ़कर 300 रुपए पहुंचेगा। एयरटेल और जियो आने वाले सालों में सबसे ज्यादा टैरिफ बढ़ाएंगी। अगले कुछ साल में टेलीकॉम कंपनियां प्रति यूजर आय 80 रुपए बढ़ाने के रोडमैप पर काम कर रही हैं। केयरएज रेटिंग्स ने कहा, हमारे विश्लेषण के मुताबिक आरपीयू में हर 1 रुपए की बढ़ोतरी से टेलीकॉम इंडस्ट्री का मुनाफा 1000 करोड़ रुपए बढ़ जाता है। इधर, उपकरणों की बिक्री 60,000 करोड़ के पार
देश में टेलीकॉम सेक्टर से जुड़े उपकरणों की बिक्री भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। प्रॉडक्शन लिंक्ड स्कीम के तहत घरेलू स्तर पर बने टेलीकॉम उपकरणों की बिक्री 60,000 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गई है। इससे 20,800 प्रत्यक्ष नौकरियां और कई अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुई हैं। टेलीकॉम मंत्रालय की ओर से कहा गया कि टेलीकॉम क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को शुरू हुए करीब तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस दौरान करीब 4000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश इस सेक्टर में आया है। 60,000 करोड़ रुपए की कुल बिक्री में से 15,500 करोड़ रुपए का निर्यात भी किया गया है।
टेलीकॉम सेक्टर का व्यापार घाटा गिरा
सरकार के अनुसार पिछले पांच वर्षों में टेलीकॉम सेक्टर में व्यापार घाटा (टेलीकॉम उपकरण और मोबाइल मिलाकर) 75,000 करोड़ रुपए से घटकर 8,000 करोड़ रुपए रह गया है। इस दौरान टेलीकॉम क्षेत्र के आयात-निर्यात के बीच अंतर भी कम हुआ है।