विवाद सुलझाने के बीच किया धारदार हथियार से हमला
शाम के करीब आठ बजे, जब होली की खुशियां अपने चरम पर थीं, डायल 112 पर एक सूचना आई कि नंदलालपुर गांव के पास दो पक्षों के बीच किसी बात को लेकर तीखी नोकझोंक और मारपीट हो रही है। इस सूचना पर तुरंत हरकत में आए ASI संतोष कुमार अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। वहां पहुंचते ही उन्होंने दोनों पक्षों को शांत करने और विवाद सुलझाने की कोशिश शुरू की। माहौल पहले से ही तनावपूर्ण था, और उनकी मौजूदगी से भीड़ का गुस्सा कम होने के बजाय भड़क उठा। इसी बीच, एक पक्ष के लोगों ने अचानक हिंसा का रास्ता चुना। तेज धार वाले हथियार से हमलावरों ने ASI संतोष पर ताबड़तोड़ वार किए, खासकर उनके सिर पर कई प्रहार हुए। इससे पहले कि वह खुद को बचा पाते, वह खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़े, बेहोशी की हालत में। साथी पुलिसकर्मियों ने फौरन उन्हें बचाने की कोशिश की और आनन-फानन में मुंगेर के सदर अस्पताल ले गए। वहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उनकी हालत को बेहद नाजुक देखते हुए पटना रेफर कर दिया। लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था—पटना ले जाते वक्त रास्ते में ही संतोष कुमार ने दम तोड़ दिया। इस हमले ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे पुलिस महकमे को गहरे सदमे में डाल दिया। घटनास्थल पर हड़कंप मच गया, और इलाके में तनाव का माहौल बन गया।
सदर एसडीपीओ अभिषेक आनंद ने बताया कि यह घटना तब हुई जब डायल 112 पर सूचना मिली थी कि नंदलालपुर में दो परिवारों के बीच मारपीट हो रही है। ASI संतोष मौके पर पहुंचे थे, लेकिन विवाद सुलझाने की कोशिश के दौरान एक शख्स ने उन पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने छापेमारी शुरू कर दी है, और इलाके में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।
अररिया में भी हुई ASI की हत्या
यह घटना कोई पहली नहीं है। महज दो दिन पहले, बुधवार की रात अररिया में भी एक पुलिसकर्मी, ASI राजीव रंजन, की छापेमारी के दौरान भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। वह फुलकाहा थाना क्षेत्र के मानिकपुर में एक फरार आरोपी को पकड़ने गए थे, जहां ग्रामीणों से झड़प में उनकी जान चली गई। अररिया पुलिस ने उस मामले में 18 नामजद और 20-25 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी, और कई गिरफ्तारियां भी हुईं। मुंगेर की यह ताजा घटना पुलिसकर्मियों की जान जोखिम में डालने वाली चुनौतियों को फिर से उजागर करती है। होली जैसे पर्व के बीच जहां लोग रंगों में डूबे थे, वहीं संतोष कुमार जैसे जांबाज अपनी ड्यूटी निभाते हुए शहीद हो गए। उनकी मौत ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि बिहार में बढ़ती हिंसा और असहिष्णुता की गहरी चिंता को भी सामने ला दिया है। पुलिस अब इस मामले की गहन जांच में जुटी है, ताकि दोषियों को सजा दिलाई जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। लेकिन इस बीच, एक परिवार का चिराग बुझ गया, जिसका दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है।