2019 से लंदन की जेल में बंद है नीरव मोदी
नीरव मोदी को 19 मार्च 2019 को यूके पुलिस ने भारत सरकार की प्रत्यर्पण याचिका के आधार पर गिरफ्तार किया था। उस पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 6,498.20 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। यूके की हाई कोर्ट पहले ही भारत सरकार के पक्ष में निरव मोदी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे चुकी है, लेकिन इस फैसले को नीरव मोदी ने सरकार के समक्ष चुनौती दी है। इस संबंध में गोपनीय प्रक्रिया जारी है।
अदालत ने लंबी कैद और स्वास्थ्य के आधार पर जमानत नहीं दी
गोपनीय प्रक्रिया लंबित होने के चलते नीरव मोदी ने जमानत की मांग की थी। उसने लंबे समय से कैद में होने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला दिया था, लेकिन कोर्ट ने इन आधारों को अस्वीकार कर दिया।
CBI के अनुसार, 23,780 करोड़ रुपये का कुल घोटाला
CBI के आरोपपत्र के अनुसार, 2011 से 2017 के बीच 1,214 फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) जारी किए गए, जिनकी कुल राशि 23,780 करोड़ रुपये है। यह LoUs बैंक अधिकारियों ने नीरव मोदी की कंपनियों — M/s Diamonds R US, M/s Stellar Diamond, और M/s Solar Export — के पक्ष में जारी किए थे। इनमें से 150 LoUs का भुगतान अब तक नहीं हुआ है, जिससे 6,498.20 करोड़ रुपये की राशि PNB को नुकसान के रूप में दर्शाई गई है। देश छोड़कर भागने के बाद भगोड़ा घोषित
नीरव मोदी 1 जनवरी 2018 को भारत से फरार हो गया था। गिरफ्तारी के बाद उसे 5 दिसंबर 2019 को विशेष अदालत ने फरार आर्थिक अपराधी (Fugitive Economic Offender) घोषित किया। इसके बाद 7 जुलाई 2020 को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर 329.66 करोड़ रुपये की 68 संपत्तियों को जब्त करने की मंजूरी दी, जिनमें लंदन स्थित एक आलीशान घर भी शामिल है।