दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल से गुजरी ट्रेन
ट्रायल रन के दौरान ट्रेन ने कटरा से श्रीनगर तक की दूरी दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल, चिनाब ब्रिज, और भारत के पहले केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज, अंजी खाद ब्रिज, से होकर पूरी की। यह ब्रिज न केवल इंजीनियरिंग का चमत्कार हैं, बल्कि इनसे गुजरने वाली वंदे भारत ट्रेन भारत के बुनियादी ढांचे की नई पहचान बनेगी।
वंदे भारत ट्रेन में मिलेगी ये खास सुविधाएं
ट्रेन को खासतौर पर घाटी के ठंडे मौसम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। यह माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में चलने में सक्षम है। इसके कोच में पानी और बायो-टॉयलेट टैंकों को जमने से रोकने के लिए हीटिंग सिस्टम लगाए गए हैं, जो यात्रियों के लिए हर मौसम में आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करते हैं।
‘मेक इन इंडिया’ की सफलता की कहानी
वंदे भारत ट्रेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का बेहतरीन उदाहरण है। इस ट्रेन में अत्याधुनिक सुविधाएं और उच्च सुरक्षा मानक मौजूद हैं। इसमें विकलांग व्यक्तियों के लिए सुलभ शौचालय, इंटीग्रेटेड ब्रेल साइनेज और ‘कवच’ टेक्नोलॉजी जैसी विशेषताएं शामिल हैं। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कई देशों ने भारत से वंदे भारत ट्रेनें प्राप्त करने में रुचि जताई है। यह न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन है, बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी प्रतिष्ठा को भी बढ़ा रहा है।
फरवरी में पहली यात्री ट्रेन का शुभारंभ
घाटी के लोगों के लिए यह एक बड़ा सपना सच होने जैसा है। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कटरा से श्रीनगर के लिए पहली वंदे भारत ट्रेन के उद्घाटन की उम्मीद है। इस सेवा से जम्मू-कश्मीर में पर्यटन, व्यापार, बागवानी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त उन्नति की संभावना है। यातायात में बदलाव और स्थायी समाधान
कश्मीर घाटी में ठंड और बर्फबारी के कारण अक्सर जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो जाता है। ऐसे में यह रेल सेवा स्थायी समाधान प्रदान करेगी। सर्दियों के दौरान घाटी के लोगों को यात्रा में होने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी। इसके अलावा, पर्यटकों को आरामदायक और सुरक्षित यात्रा का विकल्प मिलेगा, जिससे कश्मीर में पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।
समृद्धि और संपर्क का नया युग
कटरा-श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन न केवल कश्मीर के लोगों को शेष भारत से जोड़ेगी, बल्कि उनके जीवन में व्यापक बदलाव भी लाएगी। यह पहल कश्मीर के विकास में मील का पत्थर साबित होगी और भारतीय रेलवे के इतिहास में गौरव का अध्याय जोड़ेगी।