जासूसी से संबंधित प्रमुख कानूनी प्रावधान
ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923धारा 3: यह धारा रक्षा या गोपनीय जानकारी से संबंधित जासूसी को कवर करती है। यदि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी (जैसे सैन्य योजनाएं, हथियार, या रक्षा ठिकाने) किसी विदेशी एजेंट या शत्रु राष्ट्र को देता है, तो उसे 14 साल तक की सजा हो सकती है। गंभीर मामलों में आजीवन कारावास भी संभव है।
धारा 4: विदेशी एजेंटों के साथ अनधिकृत संपर्क करने पर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है।
धारा 5: गोपनीय जानकारी लीक करने या दुश्मन को देने पर 3 साल तक की सजा हो सकती है।
धारा 10: कुछ मामलों में, कम गंभीर जासूसी गतिविधियों के लिए 3 साल की सजा या जुर्माना हो सकता है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023
धारा 152: यह धारा भारत की प्रभुता, एकता या अखंडता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को कवर करती है। इसमें जासूसी जैसी गतिविधियां शामिल हो सकती हैं, और सजा के रूप में मृत्युदंड या आजीवन कारावास तक हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने या सैन्य जानकारी साझा करने में शामिल है, तो उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।भारतीय दंड संहिता (IPC) (अब BNS द्वारा प्रतिस्थापित)
पहले IPC की धारा 121 (देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और अन्य धाराएं जासूसी से संबंधित अपराधों के लिए लागू होती थीं। अब ये प्रावधान BNS में शामिल हैं।जासूसी के हालिया मामले
हाल ही में, हरियाणा और पंजाब में एक जासूसी रैकेट का पर्दाफाश हुआ, जिसमें 6 लोग गिरफ्तार किए गए। इनमें हिसार की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा भी शामिल हैं, जिन पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप है। ज्योति पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धारा 3, 4, और 5 के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच में पता चला कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन के अधिकारी दानिश के संपर्क में थी।सजा का निर्धारण कैसे होता है?
अपराध की गंभीरता: यदि जासूसी से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हुआ, तो सजा अधिक कठोर होगी।सबूत: कोर्ट में पेश किए गए सबूत, जैसे संदेश, कॉल रिकॉर्ड, या वित्तीय लेन-देन, सजा को प्रभावित करते हैं।
इरादा: यदि जासूसी जानबूझकर की गई, तो सजा कठोर होगी।
पिछला रिकॉर्ड: यदि आरोपी का आपराधिक इतिहास है, तो सजा बढ़ सकती है।