क्या कभी आंसुओं की धार से मिट जाएगा… मूर्ति पर टैगोर ने बांग्ला में लिखा था, ‘अपने दिल को काटकर मैंने पत्थर पर हाथों से उकेरा है। क्या यह कभी आंसुओं की धारा से मिट जाएगा?’ इसे टैगोर ने अपने दोस्त कवि अक्षयचंद्र चौधरी को भेंट किया था, जो ज्योतिरिंद्रनाथ के सहपाठी थे। अक्षयचंद्र ने मूर्ति अपनी बेटी उमारानी को दे दी थी। मूर्ति सबसे पहले 2024 में कोलकाता में प्रदर्शित की गई। तब यह उमारानी की बेटी देबजानी के पास थी।
1927 से 1936 के बीच लिखे थे पत्र नीलाम हुए पत्रों में से 12 टैगोर ने 1927 से 1936 के बीच अपने करीबी समाजशास्त्री धुरजति प्रसाद मुखर्जी को लिखे थे। कई पत्र विश्व भारती, उनके शांति निकेतन के उत्तरायण आवास, दार्जिलिंग के ग्लेन ईडन और उनकी नाव ‘पद्मा’ के लेटरहेड पर हैं। नीलामी में चित्रकार एम.एफ. हुसैन की एक कृति 3.80 करोड़ रुपए में बिकी। यह उनकी ‘मदर टेरेसा’ श्रृंखला से थी।