विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि विधायकों की भावनाओं और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि समिति 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। समिति की अध्यक्षता अभय वर्मा करेंगे जबकि अन्य सदस्यों में सूर्य प्रकाश खत्री, पूनम शर्मा, संजीव झा और विशेष रवि को शामिल किया गया है। समिति का दायित्व विधायकों के कार्यभार, जिम्मेदारियों और आवश्यक संसाधनों की विस्तृत समीक्षा करना होगा ताकि निष्पक्ष और संतुलित अनुशंसा दी जा सके।
पहली बार भाजपा और आम आदमी पार्टी दिखी एकमत
दिल्ली विधानसभा में इस मुद्दे पर
भाजपा विधायक और
आम आदमी पार्टी के विधायकों के बीच सहमति दिखाई दी। आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक संजीव झा ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली के विधायकों का मानदेय देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है। उन्होंने सुझाव दिया कि अन्य राज्यों की विधानसभाओं का अध्ययन कर दिल्ली के विधायकों का वेतन उसी अनुपात में तय किया जाना चाहिए। विधायक विशेष रवि ने कहा कि अगर एक जनप्रतिनिधि को स्वतंत्र और प्रभावी तरीके से काम करना है तो उसे वित्तीय रूप से सक्षम होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अच्छा वेतन विधायकों का अधिकार है। जिससे वे अपने क्षेत्र की बेहतर सेवा कर सकें। वहीं भाजपा विधायक कुलवंत राणा और अनिल झा ने भी वेतन वृद्धि का समर्थन किया। अनिल झा ने यह मांग भी उठाई कि पूर्व विधायकों की पेंशन में भी सुधार किया जाना चाहिए। ताकि उन्हें भी सम्मानजनक जीवन यापन मिल सके। दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद ने सदन में इस विषय पर बोलते हुए कहा कि विधायकों की चिंता जायज है। सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि यह मामला एडहॉक समिति के माध्यम से निष्पक्ष रूप से देखा जाएगा।
फिलहाल कितना है दिल्ली के विधायकों का वेतन?
मौजूदा समय में दिल्ली के विधायकों को लगभग 90 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है। मार्च 2023 में इसमें करीब 67 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। इससे पहले विधायकों को लगभग 54 हजार रुपये वेतन मिलता था। जुलाई 2022 में दिल्ली विधानसभा में विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री के वेतन में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह प्रस्ताव राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मार्च 2023 में अधिसूचित हुआ था। अब दिल्ली में भाजपा सरकार ने एक बार फिर दिल्ली के विधायकों का वेतन बढ़ाने पर चर्चा शुरू की है। इस मामले को दिल्ली विधानसभा में सत्ता और विपक्ष दोनों ने समर्थन दिया है। दोनों ही पार्टियों का मानना है कि जनप्रतिनिधियों को बेहतर कामकाज के लिए समुचित संसाधन और सम्मानजनक वेतन मिलना जरूरी है। बहरहाल विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एडहॉक समिति गठित कर दी है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी। साथ ही ई-विधानसभा जैसी पहल से दिल्ली विधानसभा देश की अन्य विधानसभाओं के लिए उदाहरण बन सकती है।
डाटा एंट्री ऑपरेटरों की संख्या और वेतन में बदलाव
दिल्ली बजट सत्र के दौरान यह सुझाव भी सामने आया कि विधायकों को अब दो की बजाय चार डाटा एंट्री ऑपरेटर उपलब्ध कराए जाएं। भाजपा विधायक सूर्य प्रकाश खत्री ने यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों के अनुसार, किसी भी अकुशल श्रमिक को कम से कम 18 हजार रुपये का वेतन मिलना चाहिए, जबकि वर्तमान में ऑपरेटरों को केवल 15 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि न केवल संख्या बढ़ाई जाए, बल्कि उनका वेतन भी बढ़ाया जाए।
ई-विधानसभा की ओर बढ़े कदम
बजट सत्र के तीसरे दिन विधानसभा अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि आगामी मानसून सत्र से दिल्ली विधानसभा पूरी तरह कागज रहित हो जाएगी। उन्होंने कहा कि 100 दिनों के भीतर ई-विधानसभा परियोजना को लागू कर दिया जाएगा, जिसके लिए विधायकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
इस परियोजना के तहत विधानसभा की कार्यवाही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चलेगी, जिससे कागज की खपत खत्म होगी और कार्यप्रणाली पारदर्शी व तेज होगी। 22 मार्च को दिल्ली विधानसभा ने भारत सरकार के संसदीय कार्य मंत्रालय के साथ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। परियोजना का संपूर्ण खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।