क्या कहा था मंत्री सिरसा ने?
विवाद की शुरुआत तब हुई जब मंत्री सिरसा ने रविवार को एक बयान में कहा “मैं अरविंद केजरीवाल, आतिशी और आम आदमी पार्टी से कहना चाहता हूं कि आप रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के लिए जितना चाहें समर्थन कर लें, लेकिन हम उन्हें इस देश में नहीं रहने देंगे। हम ऐसी किसी भी राजनीति में शामिल नहीं होंगे जो दिल्ली के लोगों के जीवन से समझौता करती हो।” उनकी यह टिप्पणी तुरंत राजनीतिक बवंडर में बदल गई। AAP ने इसे उत्तर प्रदेश और बिहार से आए मेहनतकश नागरिकों का सीधा अपमान बताया। आप विधायकों और नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
AAP विधायक संजीव झा ने इस बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा “भाजपा कई दिनों से झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ रही है और मंत्री सिरसा ने वहां रहने वालों को रोहिंग्या कहकर सारी सीमाएं पार कर दी हैं। इनमें से अधिकतर लोग पूर्वांचल से हैं और भाजपा के इस रवैये से आहत हैं। हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि सिरसा माफी मांगे या उन्हें तुरंत पद से हटा दिया जाए।”
इसी प्रदर्शन में मौजूद AAP नेता विनय मिश्रा ने भी तीखा हमला करते हुए कहा “यह वही व्यक्ति है जो चुनाव के समय झुग्गियों में जाकर वोट मांगता था। अब वही लोगों का अपमान कर रहा है। भाजपा की पूर्वांचल विरोधी मानसिकता कोई नई बात नहीं है। इस बयान का असर न सिर्फ दिल्ली की राजनीति बल्कि बिहार चुनावों तक देखने को मिलेगा।”
भविष्य में क्या हो सकता है?
फिलहाल भाजपा की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है, लेकिन विरोध का स्वर तेज होता जा रहा है। यह देखना अहम होगा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल और भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं। एक ओर भाजपा को अपने मंत्री का बचाव करना होगा तो दूसरी ओर दिल्ली और बिहार में पूर्वांचली वोट बैंक की नाराजगी से भी निपटना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लाखों प्रवासी मतदाता पूर्वांचल, खासकर यूपी-बिहार से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में सिरसा के बयान से भाजपा को राजनीतिक नुकसान हो सकता है। खासकर उन इलाकों में जहां पूर्वांचली आबादी निर्णायक भूमिका निभाती है।