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नई दिल्ली

नालंदा के बाद अब खंडहर से उभरेगा बिहार का विक्रमशिला

हमारी धरोहर : पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा प्राचीन विश्वविद्यालय

नई दिल्लीMar 26, 2025 / 01:19 am

ANUJ SHARMA

पटना. राजगीर की तलहटी में नालंदा विश्वविद्यालय नए सिरे से बनने के एक दशक बाद बिहार में एक और प्राचीन शिक्षा केंद्र विक्रमशिला को पुनर्जीवित करने की तैयारी चल रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) भागलपुर के प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहा है। खंडहर में तब्दील हो चुके विश्वविद्यालय के अंदर और आसपास सफाई कराई जा रही है। संरक्षण और सुरक्षा प्रक्रिया के तहत पूरे स्थल को ग्रिड में विभाजित किया गया है।

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विक्रमशिला में कभी तंत्र, धर्मशास्त्र, दर्शन, व्याकरण, तत्व मीमांसा और तर्क जैसे विषय पढ़ाए जाते थे। यह करीब चार शताब्दियों तक समृद्ध रहा, लेकिन 13वीं शताब्दी के आसपास नालंदा के साथ इसका भी पतन हो गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने 2015 में इस केंद्रीय विश्वविद्यालय के जीर्णोद्धार की परियोजना के लिए 500 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। राज्य सरकार की ओर से उपयुक्त भूमि की पहचान में देरी के कारण परियोजना अब तक लटकी हुई थी। बिहार सरकार ने हाल ही भागलपुर जिले के अंतीचक गांव में केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए 202.14 एकड़ भूमि की पहचान की है। यहां रिसोर्स और विजिटर सेंटर के निर्माण के साथ प्रदर्शनी गैलरी बनाई जाएगी, जिसमें विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक विरासत दर्शाई जाएगी। परिसर में पौधरोपण और पर्यावरण अनुकूल सुविधाओं का विस्तार होगा।
208 कक्षों में होती थी तंत्रयान की पढ़ाई

खंडहर के बीच ईंटों का विशाल स्तूप विक्रमशिला का केंद्रबिंदु है। स्तूप के चारों ओर 208 कक्ष हैं। इन कक्षों में सदियों पहले भिक्षु-छात्र तंत्रयान की पढ़ाई करते थे। हीनयान और महायान के बाद तंत्रयान भारतीय बौद्ध धर्म की तीसरी प्रमुख शाखा थी। इसकी पढ़ाई तांत्रिक अभ्यास और अनुष्ठानों पर केंद्रित थी। प्राचीन विक्रमशिला विश्विद्यालय के विद्वान तंत्रयान के विशेषज्ञ माने जाते थे।
8वीं शताब्दी के अंत में हुई थी स्थापना

पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 8वीं शताब्दी के अंत में विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। यह नालंदा विश्वविद्यालय के समकालीन था। अपने काल में दोनों विश्वविद्यालय उत्कर्ष पर थे। नालंदा विभिन्न विषयों के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध था, जबकि विक्रमशिला तांत्रिक अध्ययन के लिए एकमात्र विश्वविद्यालय था।

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