सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा “स्वंय जेपी नड्डा जो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने सरकारी दीवार पर भाजपा का सिंबल अपने हाथ से बनाया। इसपर कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। कहीं पर एक कंप्लेन हुई। किसके बारे में- प्रधानमंत्री, जेपी नड्डा, अमित शाह,
अरविंद केजरीवाल और मटियाला के हमारे काउंसलर के बारे में। इस कंप्लेन को दर्ज करते वक्त भाजपा का दवाब ऐसा था कि दिल्ली पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की वो केजरीवाल के खिलाफ दर्ज की। हालांकि यह बहुत छोटा मामला है, लेकिन ये पुलिस के हाथ में है कि किसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है और किसके खिलाफ नहीं।”
सीएम रेखा गुप्ता ने दिया पोस्टर-बैनर हटाने का निर्देश
दरअसल गुरुवार को दिल्ली के पीतमपुरा में निरीक्षण के दौरान
सीएम रेखा गुप्ता ने मेट्रो पिलर्स पर पोस्टर लगे देखे थे। उन्होंने गाड़ी रुकवाकर खुद पिलर साफ किया और इस पर कड़ी आपत्ति जताई। सीएम रेखा गुप्ता ने कहा था “सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का अधिकार किसी के पास नहीं है। सीएम से लेकर अन्य व्यक्ति तक को नहीं। मेरा सबसे अनुरोध है कि दिल्ली को गंदा न करें। मेट्रो के खंभे हमारी दिल्ली की खूबसूरती हैं। यहां होर्डिंग, पोस्टर, बैनर नहीं लगाए जाने चाहिए।” इसके बाद दिल्ली से होर्डिंग्स, पोस्टर और बैनर हटाए जाने लगे।
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिया था एफआईआर का आदेश
इससे पहले दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 11 मार्च को राजधानी में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाने के लिए जनता के धन का कथित तौर पर दुरुपयोग करने के आरोप में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने का आदेश जारी किया था। अदालत ने यह निर्देश शिकायत के आधार पर दिया, जिसमें सार्वजनिक संपत्ति और संसाधनों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था।
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई शुरू की। इस मामले में साल 2019 में शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसमें दावा किया गया था कि केजरीवाल, मटियाला से
आम आदमी पार्टी के तत्कालीन विधायक गुलाब सिंह और द्वारका ए वार्ड की तत्कालीन पार्षद नितिका शर्मा ने इलाके में कई स्थानों पर विशाल होर्डिंग्स लगवाकर जानबूझकर जनता के धन का गलत उपयोग किया है।
एसीजेएम ने दिया था जांच का आदेश
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नेहा मित्तल ने 11 मार्च को इस मामले में पुलिस को जांच कर आरोपियों की पहचान करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था “शिव कुमार सक्सेना नाम के व्यक्ति ने समय और तारीख के साथ ऐसे साक्ष्य दिए हैं। जिनसे पता चलता है कि अवैध बैनर पर केजरीवाल और अन्य आरोपियों के नाम के साथ-साथ उनकी तस्वीरें भी प्रकाशित की गईं। अपराध की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह न केवल आंखों में खटकने वाला और सार्वजनिक परेशानी पैदा करने वाला है, जिससे शहर की सुंदरता नष्ट हुई, बल्कि यातायात में बाधा डालकर उसके सुचारू प्रवाह के लिए भी खतरनाक है।” इसपर राज्य के वकील ने दलील दी थी कि समय बीत चुका है और सबूत के तौर पर दी गई तस्वीरों में होर्डिंग बनाने वाली कंपनी का नाम नहीं है, लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा “यह मामला सीआरपीसी की धारा-156 (3) (संज्ञेय अपराध में पुलिस जांच का आदेश देने की मजिस्ट्रेट की शक्ति) के तहत स्वीकार किए जाने योग्य है। इसलिए संबंधित एसएचओ को दिल्ली संपत्ति विरूपण रोकथाम अधिनियम, 2007 की धारा-3 और मामले के तथ्यों से प्रतीत होने वाले किसी भी अन्य अपराध के तहत तत्काल एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है।” इसके बाद 27 मार्च को पुलिस ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम (PPA) के कथित उल्लंघन के तहत मुकदमा दर्ज किया। इस मामले में अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
इस मामले में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। संजय सिंह ने कहा “पोस्टर लगाने के लिए शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा और मनोज तिवारी का भी नाम लिखा था। कोर्ट ने इनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन सिर्फ अरविंद केजरीवाल पर एफआईआर दर्ज की गई है। इससे साबित होता है कि इस देश में सिर्फ बीजेपी का कानून चल रहा है।”