नगर निगम के भीतर भी विवाद बना फैसला
सूत्रों की मानें तो दिल्ली नगर निगम का यह फैसला खुद नगर निगम के भीतर भी विवाद बन गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों ने ही इस फैसले का विरोध किया है। आप ने संपत्ति कर में कचरा उपयोगकर्ता शुल्क जोड़ने के फैसले की आलोचना की। साथ ही एमसीडी कमिश्नर पर सदन को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए उनकी खिंचाई की है। जबकि भाजपा नेताओं ने एमसीडी कमिश्नर के आवास के बाहर प्रदर्शन कर इस फैसले का विरोध किया।
क्या बोले रेजीडेंट्स वेलफेयर के पदाधिकारी?
एमसीडी के हाउस टैक्स के साथ कचरा उपयोगकर्ता शुल्क वसूलने के फैसले पर ग्रेटर कैलाश-II रेजीडेंटस्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव संजय राणा ने कहा “एक समान, कुशल और अलग-अलग कचरा इकट्ठा करना सुनिश्चित किए बिना शुल्क लगाना सही नहीं है। दिल्ली एमसीडी की सेवा की गुणवत्ता और निरंतरता एक चिंता का विषय बनी हुई है। नगर निगम को पहले सेवाओं को सुव्यवस्थित करना चाहिए। कचरा लेने में गैप को दूर करना चाहिए और उसके बाद ही नाममात्र और उचित उपयोगकर्ता शुल्क पर विचार करना चाहिए।” वहीं दिल्ली के वसंत कुंज RWA प्रमुख राजेश पंवार ने भी एमसीडी के इस फैसले का विरोध किया। राजेश पंवार ने कहा “हम इस नए शुल्क का पूरी तरह से विरोध करते हैं। सफाई सेवाएं पहले से ही खराब हैं और निजी कचरा उठाने वाले घरों से कचरा इकट्ठा करते हैं और उसे ढलाव में ले जाते हैं। हमें एक ही सेवा के लिए निजी कूड़ा उठाने वालों और एमसीडी दोनों को भुगतान क्यों करना चाहिए?”
अब जानिए दिल्ली में कचरा प्रबंधन का गणित
एमसीडी सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन 11,000 टन से ज्यादा कचरा निकलता है। यह कचरा करीब 4.3 मिलियन घरों से एकत्रित किया जाता है। इसके बाद इसे ढलावों फिर लैंडफिल होते हुए कचरे से ऊर्जा बनाने वाले प्लांट और खाद बनाने वाली इकाइयों में ले जाया जाता है। एमसीडी के पास रोजाना लगभग 7,200 टन कचरे को प्रोसेस करने की क्षमता है, जिसमें प्रतिदिन 3,800 टन से ज्यादा का प्रोसेसिंग गैप रह जाता है। वहीं रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि कागजों पर एमसीडी 100 प्रतिशत डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का दावा करता है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इसकी सच्चाई ये नहीं है। इसको लेकर कई बार स्थानीय निवासियों ने इस आंकड़े को चुनौती दी है। एमसीडी ने बनाई है ये योजना
एमसीडी के सूत्रों के अनुसार निगम ने जो प्रस्ताव तैयार किया है। उसके अनुसार एमसीडी आवासीय संपत्तियों से हर महीने 50 से 200 रुपये तक कचरा शुल्क वसूलने की योजना बनाई है। इसके अलावा वाणिज्यिक यूनिटों से ये शुल्क और भी ज्यादा वसूला जाना है। राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 4.3 मिलियन घरों में से 1.3 मिलियन लोग एमसीडी को हाउस टैक्स देते हैं। मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप के मेयर महेश कुमार खिची ने कहा “निगम द्वारा नियुक्त निजी रियायतकर्ता डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण नहीं कर रहे हैं। दिल्ली नगर निगम का यह प्रस्ताव साल 2016 का है। एमसीडी कमिश्नर अब इसे भाजपा के निर्देश पर लागू कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि हम इसके लिए जिम्मेदार हों।”