ठंड में मौतें, नेकी की दीवार पर सवाल पिछले सालों में जिस तरह नेकी की दीवारें बढ़ी थीं वे इस बार नजर नहीं आई। भोपाल में वीर सावरकर सेतु के करीब लगने वाली नेकी की दीवार इस बार नहीं दिखी। बाकी जगह से भी नेकी की दीवार इस बार नदारद रही। आनंद उत्सव भी सीमित हो गया। आनंद शिविर, आनंद सभा और आनंद क्लब के सम्मेलन सीमित रहे। अभी 86 हजार वालंटियर जुड़े हुए हैं। वहीं 78 से ज्यादा ऑनलाइन कार्यक्रम हुए।
सियासी खींचतान ने किया नुकसान आनंद विभाग की गतिविधियों पर सियासी खींचतान के कारण भी नुकसान हुआ। विभाग शिवराज सरकार के समय बना था। बाद में कमलनाथ सरकार आई तो इसे अध्यात्म विभाग में मर्ज कर दिया गया। शिवराज सरकार वापस आई तो विभाग को फिर से अलग किया गया। इसके बाद गतिविधियां सीमित ही रहीं।
बजट ऊंट के मुंह में जीरा बीते साल आनंद विभाग के पास महज सात करोड़ का बजट रहा, जो बाद में 15 करोड़ हुआ। इस साल कोई परिवर्तन नहीं हुआ। आनंद विभाग के पास मैनपावर भी बहुत कम है। इसलिए अधिकांश काम सामाजिक क्षेत्र के लोगों के भरोसे हुए। इससे शुरुआती कामों के बाद उदासीनता हावी हो गई।
फैक्ट फाइल 2025 में अब तक 7289 आनंद उत्सव 24 अल्पविराम कार्यक्रम 02 आनंद सभा प्रदेश में 174 मास्टर ट्रेनर 308 आनंदम दल 172 आनंदम केंद्र
400 आनंदम दल सहयोगी 570 आनंदम क्लब एक्सपर्ट व्यू : खुद को जानने से ही आनंद की राह भारतीय दर्शन का आनंद स्वयं की खोज पर केंद्रित है। हमारी शिक्षा व्यवस्था स्वयं को जानने की नहीं, संसार को जानने की है। संसार को जानने की बजाय खुद को जानने की व्यवस्था ही सुख देती है, इसलिए इस व्यवस्था को संसार को जानने के साथ खुद को जानने पर भी मोड़ने की जरूरत है।
– मनोहर दुबे, पूर्व आइएएस ( आनंद विभाग के पहले पीएस)