कोर्ट ने कहा, ‘स्कूलों में स्मार्टफोन के अनियंत्रित और अनुचित उपयोग के दुष्प्रभावों से इनकार नहीं किया जा सकता, पर स्मार्टफोन कई लाभदायक उद्देश्यों की पूर्ति भी करता है जैसे कि यह माता-पिता और बच्चों के बीच समन्वय स्थापित करने का माध्यम बनता है, जिससे छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।’
हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश कोर्ट ने कहा कि नीति के रूप में, छात्रों को स्कूल में स्मार्टफोन लाने से पूरी तरह न रोकें, पर उपयोग को नियंत्रित और निगरानी में रखें। नीति की नियमित समीक्षा और संशोधन किया जाना चाहिए।
1. स्कूल स्मार्टफोन रखने की सुरक्षित व्यवस्था करें और छात्रों को विद्यालय अवधि के दौरान अपने फोन जमा करने के लिए कहें। 2. कक्षा, स्कूल वाहन और स्कूल के सामान्य क्षेत्रों में स्मार्टफोन उपयोग प्रतिबंधित किया जाए।
3. छात्रों को जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार, डिजिटल शिष्टाचार और स्मार्टफोन के नैतिक उपयोग के बारे में स्कूल शिक्षित करें। 4. छात्रों की काउंसलिंग हो कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया का अधिक उपयोग चिंता, ध्यान में कमी और साइबर-बुलीइंग जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
5. नीति सुरक्षा और समन्वय के उद्देश्यों के लिए स्मार्टफोन उपयोग की अनुमति देने वाली हो, न कि मनोरंजन या अन्य अनावश्यक कार्यों के लिए। 6. माता-पिता, शिक्षकों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर नीति तैयार की जाए।
7. स्कूलों को विशेष परिस्थितियों के अनुसार नीति लागू करने का अधिकार दिया जाए। 8. पारदर्शी, निष्पक्ष और लागू करने योग्य नियम हों। दंड का भी प्रावधान हो, पर अत्यधिक कठोर नहीं। अनुशासन बनाए रखने के लिए स्मार्टफोन जब्त भी किए जा सकते हैं।