अस्पताल में दाखिल होते हुए सुनाई देने लगता है रुदन, मरीजों में ठीक न होने का बन रहा खौफ
-जिला अस्पताल में मर्चुरी मुख्य गेट से है चंद कदम की दूरी पर, शोक में डूबे परिजनों की चीख पुकार से परिसर हो जाता है गमगीन


दमोह. अमूमन जिला अस्पतालों में शव गृह पीछे वाले हिस्से में बने हुए हैं। ताकि पीडि़त परिजनों के रुदन से माहौल गमगीन न हो। साथ ही इलाज कराने आने वाले मरीजों पर इसका बुरा असर न पड़े, लेकिन दमोह के जिला अस्पताल में मर्चुरी मुख्य गेट के ठीक बगल में है।
मुश्किल से २० कदम दूर पर यह बना हुआ है। सड़क हादसे में मौत होने पर, बीमारी के चलते या फिर प्रसव के दौरान महिला की मौत हो जाने पर परिसर में ही चीखपुकार मच जाती है। अस्पताल में दाखिल होते ही पूरा माहौल गमगीन महसूस होने लगता है। इससे अस्पताल में आने वाले मरीज भी अपना हौसला खोने लगते हैं। वैसे देखा जाए तो इस मर्चुरी को अस्पताल के पीछे शिफ्ट किए जाना चाहिए, पर प्रबंधन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
-अधिकतम चार शव रखने की व्यवस्था
शवगृह भी बेहद छोटे से कमरे का है। यहां पर बमुश्किल चार शव रखने की व्यवस्था है। डीप फ्रीजर भी अक्सर बंद हो जाते हैं। गर्मियों के दिनों में ज्यादा घंटे शव सुरक्षित नहीं रहते हैं। ऐसे में शवों की बदबू भी परिसर में महसूस होने लगती है। बता दें कि कई मर्तबा आधा दर्जन से अधिक मौतें होने पर शवों को रखने तक जगह नहीं थी। इस स्थिति में प्रबंधन को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी।
-चूहों का भी आतंक
मर्चुरी में शवों को चूहों से भी खतरा है। परिसर में चूहे तेजी से बढ़ रहे हैं। मर्चुरी में भी चूहे शवों को नुकसान पहुंचाने की फिराक में रहते हैं। जहां पर मर्चुरी बनी है। उसके पीछे बड़ी तादाद में चूहे हैं। ऐसे में चूहों से शवों को बचाने की चुनौती बनी हुई है।
-प्लान बन रहा, पर अस्पताल तक सीमित प्रक्रिया
जिला अस्पताल प्रबंधन ने मर्चुरी को पुराने नेत्र अस्पताल के पास शिफ्ट करने का प्लान बनाया है। बताया जाता है कि वहां पर बड़े कमरे में मर्चुरी बनाई जाएगी। लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। प्रक्रिया अस्पताल तक सीमित है।
वर्शन
मर्चुरी को शिफ्ट करने की तैयार चल रही है। नेत्र अस्पताल के पीछे जगह चिहिंत कर ली है। जल्द इसकी मंजूरी मिल जाएगी।
डॉ. सुरेंद्र विक्रम सिंह, प्रबंधक जिला अस्पताल
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