पं. नारायण उपाध्याय का कहना है कि, शिव(Mahashivratri 2025) स्वयं कैलाशवासी है, एक तपस्वी और साधारण रूप वाले देवता हैं, जबकि माता पार्वती एक राजा की पुत्री और राजकुमारी हैं। फिर भी उनके विवाह में भौतिक संपत्ति या सामाजिक स्थिति का कोई महत्व नहीं था। आज जहां विवाह और रिश्ते अक्सर धन और बाहरी दिखावे पर आधारित होते हैं, यह कथा हमें सच्चे प्रेम और मूल्यों के महत्व को समझाती है। शिव का व्यक्तित्व सादगी, वैराग्य का परिचायक है। शिव-शक्ति का मिलन हमें सिखाता है कि आडंबर और दिखावे से ऊपर उठकर जीवन के वास्तविक अर्थ को समझना चाहिए।
महाशिवरात्रि पर इन बातों का रखे ध्यान
महाशिवरात्रि(Mahashivratri 2025) पर कुछ बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। जानिए इस दिन किए जाने वाले कुछ विशेष कार्यों के बारे में… पंचामृत से अभिषेक करें: शिवलिंग का जलाभिषेक करना काफी फलदायक माना जाता है। यह कई चीजों से किया जाता है, लेकिन अगर आप पंचामृत से अभिषेक करते हैं, तो यह और भी शुभ और फलदायक माना जाता है। जल, दूध, दही, घी और शहद मिलाकर अभिषेक करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। शृंगार सामग्री दान करें: इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। इसलिए महाशिवरात्रि पर 16 शृंगार की सामग्री का दान करना वैवाहिक जीवन के लिए शुभ माना जाता है।
घर में शिवलिंग की स्थापना करें: महाशिवरात्रि के दिन घर में शिवलिंग स्थापित करें। इससे घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें: माना जाता है कि इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से मनोकामना पूरी होती है। जीवन बाधामुक्त होता है।