scriptजिले में हर दूसरा व्यक्ति खा रहा एक मिली ग्राम फूड डाई, बच्चों में हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर का खतरा | Every second person in the district is consuming one milligram of food dye, risk of hyperactivity disorder in children | Patrika News
समाचार

जिले में हर दूसरा व्यक्ति खा रहा एक मिली ग्राम फूड डाई, बच्चों में हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर का खतरा

-जिले में हर महीने १५० किलो फूड डाई की है खपत, एफडीए के मापदंड का नहीं हो रहा पालन
-एक किलो खाद्य सामग्री में एक चुटकी सुरक्षित, पर डाल रहे एक से दो ग्राम

दमोहMay 22, 2025 / 11:39 am

आकाश तिवारी


दमोह. जिले में लोगों के खानपान में काफी बदलाव आया है। मार्केट में भी खाने की चीजों में वेरायटियां देखने को मिल रही है। इस बीच कई कंपनियां इन खाद्य सामग्रियों में जमकर मिलावट कर रही हैं। इसका बुरा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। जिले में प्रतिदिन हर दूसरा व्यक्ति खाने में एक मिली ग्राम मिलावटी कलर का सेवन कर रहा है। फल, सब्जियां, मसाले, मिठाईयों, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि के माध्यम से यह स्लो प्वाइजन हमारे शरीर में पहुंच रहा है। नियमित सेवन से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पेट की समस्याओं के अतिरिक्त लोगों को कैंसर और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों हो रही है।
जानकर हैरानी होगी कि जिले में फूड कलर, जिसे फूड डाई भी कहते हैं, उसकी एक महीने की खपत १५० किलो है।
एफडीए की गाइड लाइन कहती है कि एक किलो खाने की सामग्री में एक चुटकी रंग ही सुरक्षित है, पर मुनाफे के फेर में कई कारोबारी अनाज, फलों, पेय पदार्थों में, यहां तक की मिठाईयों में एक से दो ग्राम तक फूड कलर मिलाकर सामग्री बेच रहे हैं।
-लाल और पीले रंग कैंसर का बन रहे कारण
फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने 36 फूड डाई को एप्रूव माना है। खाने में आमतौर पर रेड 40, यलो 5, यलो 6, ब्लू 1 और ग्रीन 3 फूड कलर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इनमें से रेड 3, यलो 5 और यलो 6 जैसे आर्टिफिशियल रंग कैंसर का कारण बन सकते हैं।
-त्वचा पर लाल चकते आने की समस्या
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. राघव गुप्ता बताते हैं कि खाने में फूड कलर इस्तेमाल करने से इम्यूनिटी कमजोर होती। बच्चे ऐसा खाना खाते हैं, तो उनमें इन्फेक्शन की आशंका ज्यादा होती है। यलो 5 फूड डाई के सेवन से स्किन पर रेड रैशेज हो जाते हैं। अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर का शिकार हो सकते हैं।
डॉ. गुप्ता बताते हैं कि फूड डाई केमिकल पदार्थ और सिंथेटिक रंग होते हैं, जो प्रोसेस्ड फूड का रंग बढ़ाते हैं। इससे खाना लजीज दिखाई पड़ता है। खराब क्वालिटी की फूड डाई एलर्जी का कारण बन सकती हैं। इससे सिरदर्द, चेहरे पर सूजन, अस्थमा, सांस लेने में दिक्कत और छाती में जकडऩ की शिकायत होती है।
-जिले में घटिया केमिकल पर दो बड़ी कार्रवाई पर एक नजर
केस-१
खाद्य विभाग की टीम ने तीन दिन पहले शहर की एक थोक किराना दुकान से १८० किलो एक्सपायरी फूड कलर जब्त किया, जिसे नष्ट कराया है। एक किलो खाद्य सामग्री में एक ग्राम मिलान के अनुमान केे हिसाब से देखें तो यदि यह नष्ट नहीं होता तो औसतन दस लोगों के हिसाब से साढ़े तीन लाख लोग इस कलर से बने खाने को खा सकते थे।
केस-२
इधर, पांच महीने में खाद्य विभाग की टीम ने दो लाल मिर्च ब्रांड पर प्रतिबंध लगाया है। प्रयोगशाला भेजे गए नमूनों की जांच निगेटिव आई थी। इसके बाद विभाग ने इन ब्रांड पर प्रतिबंध लगाया है। साथ ही इन्हें रिटेल दुकानों से वापस मंगाकर नष्ट कराने के निर्देश कंपनी को दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि जब रिपोर्ट आई उससे पहले लाखों लोग इस लाल मिर्च का उपयोग खाने में कर चुके हैं।
वर्शन
यह बात सही है कि जिले में मिलावटी खाद्य सामग्री का विक्रय तो हो रहा है। जांच के दौरान १५० से अधिक सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। कुछ की रिपोर्ट आ चुकी है। अमला कम होने से विधिवत रूप से जांच नहीं हो पा रही है।
राकेश अहिरवार, जिला खाद्य अधिकारी

फैक्ट फाइल
-फूड डाई की खपत प्रति माह १५० किलो
-जिले में सभी प्रकार की दुकानों की संख्या ६७५३ हैं।
-जिले में थोक व फुटकर दुकानों की संख्या ४५०० से अधिक।

Hindi News / News Bulletin / जिले में हर दूसरा व्यक्ति खा रहा एक मिली ग्राम फूड डाई, बच्चों में हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर का खतरा

ट्रेंडिंग वीडियो