पांच साल से श्रवण बाधित दिव्यांगों को नहीं मिला सुनाई देने वाला उपकरण
-जिले में ४०० से ज्यादा हैं बेहरापन से जूझ रहे लोग, विभाग की माने तो ८१ को है उपकरण की जरूरत
-जिला अस्पताल में जांच के बाद सिर्फ जारी हो रहे प्रमाण पत्र


दमोह. दिव्यांगों को उपकरणों की मांग के लिए जनसुनवाई में आवेदन देना पड़ रहा है। वजह सामाजिक न्याय विभाग की लापरवाही है। समय पर प्रक्रिया पूरी न कर पाने से ेऐसे हालात बन रहे हैं। बात करें श्रवण बाधित दिव्यांगों की तो जानकर हैरानी होगी कि बीते पांच साल से इन दिव्यांगों के लिए सुनने वाली मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। जबकि जिले में ऐसे दिव्यांगों की संख्या एक-दो नहीं बल्कि ४०० से ज्यादा है। परेशानी की बात यह है कि यह उपकरण सस्ते दर पर मार्केट पर नहीं मिलते हैं। जानकार बताते हैं कि इनकी कीमत मार्केट में दस हजार से एक लाख रुपए तक की है। उपकरण मंहगे होने के कारण सैकड़ों दिव्यांग बगैर उपकरण के जी रहे हैं।
-सिर्फ जांच हो रही और बनाए जा रहे दिव्यांग प्रमाण पत्र
जिला अस्पताल में सप्ताह में दो दिन मेडिकल बोर्ड बैठता है। इस दौरान सभी प्रकार के दिव्यांग जांच कराने के लिए आते हैं। यहां जांच के बाद इनके दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि श्रवण बाधित दिव्यांगों की यहां जांच तो हो रही है, लेकिन उन्हें उपकरण नहीं दिए जा रहे हैं। सिर्फ दिव्यांग प्रमाण पत्र ही बनाकर दिए जा रहे हैं।
-सीएसआर मद से खरीदकर दिए जा सकते हैं उपकरण
जानकारी के अनुसार प्रशासन सीएसआर मद से भी इनकी खरीदी कर सकता है। पर बीते पांच साल से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सामाजिक न्याय विभाग केे अधिकारियों का कहना है कि उनके द्वारा शासन को पत्र लिखा जा चुका है, पर मंजूरी नहीं मिली है। सीएसआर मद के संबंध में अधिकारियों का कहना है कि यह विभाग के स्तर का काम नहीं है।
-विभाग की नजर में ८१ को है जरूरत
सामाजिक न्याय विभाग के प्रभारी एसडीएम तेंदूखेड़ा अविनाश रावत ने बताया कि श्रवण बाधितों के लिए जल्द ही हम कैंप लगा रहे हैं। जहां एलिम्को कंपनी के विशेषज्ञ जांच करेंगे। उन्होंने बताया कि ८१ आवेदन आए हैं, जिन्हें शिविर में बुलाया जाएगा। यहां पर विशेषज्ञ जांच करेंगे। इसके बाद किस दिव्यांग को किस तरह का उपकरण देना है यह तय किया जाएगा।
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