नए कानून के तहत, ऐसी तस्वीरें जानबूझकर साझा करने वालों को तीन साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही, सोशल मीडिया और तकनीकी कंपनियों को 48 घंटे के भीतर आपत्तिजनक सामग्री हटानी होगी, अन्यथा वे भी कानूनी कार्रवाई के दायरे में आएंगे। इस बिल को दोनों दलों का समर्थन मिला और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने इसे ‘राष्ट्रीय जीत’ बताते हुए कहा कि यह बच्चों को ऑनलाइन शोषण से बचाने में मदद करेगा।
48 घंटे में हटाना होगा अश्लील कंटेंट नए कानून के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को शिकायत मिलने के 48 घंटे के भीतर बिना सहमति वाली अश्लील तस्वीरें हटानी होंगी। एआइ जनित कंटेंट भी इस कानून के दायरे में है। उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई और फेडरल ट्रेड कमीशन की सख्त कार्रवाई संभव होगी।
भारतः आइटी एक्ट की धारा 66ई में सजा का प्रावधान भारत में किसी की अनुमति के बिना उसकी तस्वीरों का उपयोग या उन्हें पोस्ट करना निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित किया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66ई में बिना सहमति के निजी तस्वीरें खींचने, प्रकाशित करने या साझा करने पर सजा का प्रावधान है। धारा 67 ऑनलाइन अश्लील सामग्री साझा करने पर रोक लगाती है। भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 354सी के तहत तांक-झांक यानी बिना सहमति के निजी पलों को देखना, रिकॉर्ड करना या साझा करना अपराध है, धारा 509 में बिना सहमति के किसी महिला की तस्वीर पोस्ट करना, जिससे उत्पीड़न या अपमान हो, दंडनीय अपराध है, और धारा 500 के तहत किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली तस्वीरें साझा करना मानहानि माना जा सकता है।