खेल विज्ञान के तकनीकी गुर सीख रहे खिलाड़ी
पोलो ग्राउंड में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में इस बार हैंडबॉल, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, तीरंदाजी आदि प्रमुख खेलों में राज्य के 200 बालक-बालिकाएं खिलाड़ी अपना दमखम दिखाते हुए खेल विज्ञान की तकनीकों के गुर सीख रहे हैं।
शिविर में आमंत्रित चुनिंदा खिलाड़ी
शिविर प्रशासनिक अधिकारी रमेश गुप्ता के अनुसार प्रदेश के चुनिंदा युवा खिलाड़ी इसमें आमंत्रित किए जाते हैं। शिविर में खिलाड़ियों के आमंत्रित करने के मापदंड के अनुसार राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय खिलाड़ी का होना जरूरी है, लेकिन किन्हीं परिस्थितियों में जिला स्तरीय खिलाड़ी को भी सम्मिलित किया जाता है। जिसके लिए खेल परिषद की ओर से गठित चयन समिति के माध्यम से यह प्रक्रिया पूरी की जाती है।
माउंट में दिग्गज खिलाड़ी दे चुके प्रशिक्षण
हर वर्ष माउंट आबू में लगने वाला ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर कभी प्रतिभावान खिलाड़ियों की पाठशाला हुआ करता था, लेकिन अब वह बात दृष्टिगोचर नहीं होती। वर्ष 1959 से शुरू हुए इस शिविर में कभी दिग्गज प्रशिक्षकों की भरमार हुआ करती थी। यहां हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद, क्रिकेट के एन. डी. मार्शल, अर्जुन नायडू, वॉलीबॉल में रूस के पेट्रो, पैमनो, बास्केटबॉल में फिलीपींस के एल. जी. मूमर, भगवान सिंह, फुटबॉल में वी. पी. सूरी, एथलेटिक्स में जर्मनी के डॉ. आटोपेज्जर, जे. फ्रांसिस, सी. एम. मुथैया सरीखे प्रशिक्षक कोई जमाने में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे चुके हैं।
ये प्रशिक्षक दे रहे खिलाड़ियों को प्रशिक्षण
शिविर में प्रशिक्षक प्रियदीप सिंह व मनीषा राठौड़ हैंडबॉल, राकेश विश्नोई व ऊषा बास्केटबॉल, विजय प्रताप सिंह व नरपत सिंह बॉक्सिंग, सुरेंद्र सिंह एथलेटिक्स, प्रवीण शर्मा व नीलम चौधरी वॉलीबॉल, गजेंद्र शर्मा व नरेश डामोर तीरंदाजी का प्रशिक्षण देकर खेल प्रतिभाओं को तराशने में जुटे हैं।
ये खिलाड़ी ले चुके हैं शिविर में प्रशिक्षण
राजस्थान को 1967 में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय वॉलीबॉल का खिताब दिलाने वाले खिलाड़ी एन. के. मिश्रा, मनोहर सिंह, महल सिंह, बलदेव सिंह, विश्वेंद्र, रामचंद्र, अविनाश, हरिमोहन, वी. वी. गिरी, क्रिकेट में नजमुल हुसैन, लक्ष्मण सिंह, विनोद माथुर, पार्थसारथी शर्मा, हेंमेद्र सुराणा, एथलेटिक्स में आदिवासी बालाएं सुंदर व चमेली, लड़कों में श्रीगंगानगर के हाई जंपर बल्तेज व हरनेक सिंह सहित दर्जनों खिलाड़ी यहां शिविर में प्रशिक्षण ले चुके हैं।
आवासीय खेल छात्रावास की खल रही कमी
शिविर निदेशक रामनिवास चौधरी के अनुसार खेल प्रशिक्षण के बाद खिलाड़ियों को समुचित आराम की आवश्यकता होती है। जिसके लिए आवासीय खेल छात्रावास होना नितांत जरूरी है। छात्रावास के अभाव में खिलाड़ी छात्र-छात्राओं को होटलों व अन्य स्थानों पर ठहराया जाता है। जिससे खिलाड़ियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।