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मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी देश के लिए क्यों है अहम

(एक्सप्लेन) मेहुल चोकसी, गीतांजली जेम्स का मालिक और भारत के सबसे बड़े बैंक घोटालों में से एक के प्रमुख आरोपी, एक बार फिर सुर्खियों में है। भारत की प्रत्यर्पण मांग पर बेल्जियम में हाल ही में उसकी गिरफ्तारी हुई। यह गिरफ्तारी उस बहुचर्चित पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) लोन घोटाले से जुड़ी है, जिसमें चोकसी और […]

जयपुरApr 15, 2025 / 11:39 pm

Nitin Kumar

बेल्जियम में भगोड़े मेहुल चोकसी को किया गिरफ्तार।

(एक्सप्लेन) मेहुल चोकसी, गीतांजली जेम्स का मालिक और भारत के सबसे बड़े बैंक घोटालों में से एक के प्रमुख आरोपी, एक बार फिर सुर्खियों में है। भारत की प्रत्यर्पण मांग पर बेल्जियम में हाल ही में उसकी गिरफ्तारी हुई। यह गिरफ्तारी उस बहुचर्चित पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) लोन घोटाले से जुड़ी है, जिसमें चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी ने मिलकर लगभग ₹13,500 करोड़ की धोखाधड़ी की थी।
क्या था यह स्कैम?

यह घोटाला मार्च 2011 से लेकर 2017 तक चला, जब नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने पीएनबी के ब्रैडी हाउस शाखा के कुछ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स’ (एलओयू) जारी करवाए। ये एलओयू बैंक द्वारा जारी गारंटी होती हैं जिनके आधार पर विदेशों में भारतीय बैंकों की शाखाओं से लोन लिए जाते हैं। इस प्रणाली का दुरुपयोग करते हुए इन लोगों ने लगभग 1,212 एलओयू प्राप्त किए, जबकि वैध रूप से केवल 53 ही जारी किए गए थे।
कैसे सामने आया घोटाला?

पीएनबी ने 29 जनवरी 2018 को धोखाधड़ी से संबंधित पहली रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक को सौंपी और फिर सीबीआइ में शिकायत दर्ज करवाई। 13 फरवरी तक नीरव मोदी ग्रुप, गीतांजली ग्रुप और चंद्रि पेपर एंड एलाइड प्रोडक्ट्स के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो गई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी।
कौन-कौन थे शामिल?

इस घोटाले में बैंक के तत्कालीन डिप्टी जनरल मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी समेत कई अधिकारी आरोपी पाए गए, जिन्होंने कोर बैंकिंग सिस्टम को दरकिनार कर फर्जी एलओयू जारी किए। नीरव मोदी, उसकी पत्नी एमी मोदी, भाई नीशल मोदी और मेहुल चोकसी इस घोटाले के मुख्य लाभार्थी थे।
धोखाधड़ी को कैसे दिया अंजाम?

गीतांजली ग्रुप और अन्य कंपनियों के जरिए मेहुल चोकसी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एलओयू प्राप्त किए और फिर उनका प्रयोग कर विदेशों से लोन लिया। ये धनराशि कथित तौर पर मोती आयात करने के नाम पर ली गई थी, लेकिन असल में उसका इस्तेमाल अन्यत्र कर मनी लॉन्ड्रिंग की गई।
घोटाले के बाद क्या हुआ?

2017 में ही मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता हासिल कर ली थी। 2018 में जब पीएनबी घोटाले का मामला सामने आया तो वह भारत छोड़कर अमरीका होते हुए एंटीगुआ जा पहुंचा। इस बीच उसके भांजे नीरव मोदी को लंदन में गिरफ्तार किया गया, जो अब तक यूके में ही हिरासत में है।
भारत से भागकर कहां-कहां गया मेहुल?

2018 में भारत से भागकर मेहुल चोकसी एंटीगुआ पहुंचा और निवेश कार्यक्रम के तहत वहां की नागरिकता प्राप्त की। 2021 में वह रहस्यमय परिस्थितियों में डोमिनिका में पाया गया, जहां उसने अपहरण का दावा किया। इसी साल मार्च में ऐसी खबरें सामने आईं कि भगोड़ा कारोबारी मेहुल चोकसी बेल्जियम के एंटवर्प में अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ रह रहा है और इसके लिए उसने ‘एफ रेजीडेंसी कार्ड’ हासिल कर लिया है। इसके बाद, भारतीय अधिकारियों ने बेल्जियम के अधिकारियों से भारत में उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चोकसी ने बेल्जियम के अधिकारियों को ‘झूठे घोषणापत्र’ और ‘जाली दस्तावेज’ प्रस्तुत किए और अपनी आवेदन प्रक्रिया में भारत और एंटीगुआ की अपनी मौजूदा नागरिकता का विवरण छिपाया।
4 हजार करोड़ से अधिक लौटाए

17 दिसंबर को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी दी थी कि नीरव मोदी मामले में 1,052.58 करोड़ रुपए की संपत्ति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी बैंकों को वापस कर दी गई है, जबकि मेहुल चोकसी मामले में 2,565.90 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है और उसकी नीलामी की जाएगी।

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