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आपकी बात… क्या सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएशन की प्रतिस्पर्धा हमारी संस्कृति प्रदूषित कर रही है?

पाठकों की इस सवाल पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिली हैं, प्रस्तुत है पाठकों की कुछ प्रतिक्रियाएं

जयपुरFeb 13, 2025 / 06:16 pm

Neeru Yadav

Social Media Marketing

कंटेंट ज़िम्मेदारी से बनाया जाए
सोशल मीडिया ने जहां हमारी सोच को विस्तारित किया है, वहीं हमारी सोच को प्रदूषित भी किया है।अधिकांशतः कंटेंट क्रिएशन की होड़ में या व्यूज़ और लाइक्स के लालच में बिना रिसर्च के झूठी या भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं, जिससे सांस्कृतिक विकृति हो रही है। कुछ कंटेंट निर्माता हमारी संस्कृति और परंपराओं को मज़ाकिया या सनसनीखेज तरीके से प्रस्तुत करते हैं, जिससे उनका असली सार खो सकता है। सोशल मीडिया अपने विचारों को रखने का एक सशक्त माध्यम है और इसके द्वारा प्रदर्शित सामग्री सभी के द्वारा पढ़ी जाती है इसलिए यह हम पर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग विवेक और सूझबूझ से करें। अगर सोशल मीडिया कंटेंट गुणवत्तापूर्ण और जिम्मेदारी से बनाया जाए तो यह हमारी संस्कृति को संजोने और आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। – डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
कमेंट पढ़ने योग्य नहीं होते
सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएशन की प्रतिस्पर्धा ने युवा पीढ़ी को एक अंधेरी कोठरी में ढकेल दिया है। इस पर दिए जाने वाले कमेंट न तो पढ़ने योग्य होते हैं न देखने लायक। यह न केवल संस्कृति को प्रदूषित कर रहे हैं बल्कि समाज में मानसिक प्रदूषण को फैला रहे हैं। – हरिप्रसाद चौरसिया, देवास
हमारे संवाद करने का तरीका बदल गया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने हमारे एक-दूसरे से संवाद करने के तरीके को बदल दिया है। भले ही अब हम तत्काल संदेश भेज सकते हैं, तस्वीरें और वीडियो साझा कर सकते हैं लेकिन सोशल मीडिया आने के बाद परिवार के सदस्य ही एक दूसरे से संवाद का समय नहीं निकाल पाते। – अजीतसिंह सिसोदिया, खारा बीकानेर
अमर्यादित चीजें बंद होनी चाहिए
सोशल मीडिया पर भाषा की मर्यादा को लांघा जाता हैं। विचारणीय यह है कि आज के युवा इन्हें पढ़कर जीवन में क्या सीखेंगे, इसलिए सोशल मीडिया पर अमर्यादित चीजें बंद होनी चाहिए। – प्रियव्रत चारण
सामाजिक रिश्ते कमजोर हो रहे
सोशल मीडिया पर परफेक्ट लाइफ दिखाने की होड़ ने नकलीपन और भौतिकवादी मानसिकता को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे सामाजिक रिश्ते कमजोर होते जा रहे हैं। हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को सिर्फ व्यूज और कमाई के लिए तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है। लोग किसी भी ट्रेंड को पकड़कर उसी की नकल करने लगते हैं। भले ही उसमें अश्लीलता अपमानजनक भाषा या हिंसा भरी पड़ी हो। इसकी वजह से समाज में गलत संदेश पहुंच रहा है। लोग व्यूज और लाइक्स के चक्कर में बिना गुणवत्ता वाली सामग्री बनाकर डाल देते हैं। – मीना सनाढ्य, उदयपुर

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