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दुर्ग जिला न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है। सेंट्रल जीएसटी के प्रधान आयुक्त राकेश गोयल ने बताया कि टैक्स चोरी के इनपुट मिलने पर डेटा एनालिटिक्स के आधार पर,आपूर्तिकर्ताओं के बैंक स्टेटमेंट और करदाता के ई-वे बिल डेटा के साथ ही अन्य वित्तीय लेनदेन की जांच की गई। इस दौरान पता चला कि आरोपी फर्म संचालक फर्जी बिल के आधार पर आईटीसी का लाभ ले रहा था।
टैक्स चोरी करने पत्नी के नाम पर खोला फर्म
टैक्स चोरी करने के लिए विनय कुमार टंडन ने अपनी पत्नी के नाम पर एक और जीएसटी पंजीयन कराया। जबकि उसके पास पहले से स्वयं के नाम पर जीएसटी पंजीयन था। इसका बकाया 1 करोड़ रुपए से अधिक राशि का भुगतान करना था। इससे बचने और बकाया राशि का भुगतान नहीं करने नए फर्म का पंजीयन करवा लिया।
इसकी जांच करने पर पता चला कि आरोपी पिछले काफी समय से टैक्स चोरी कर रहा है। आईटीसी की राशि 5 करोड़ रुपए से अधिक होने पर विनय टंडन को सीजीएसटी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। साथ ही प्रकरण की अग्रिम जांच कर इसमें संलिप्त अन्य आरोपियों के भूमिका को जांच के दायरे में लिया गया है।