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रहवासियों का दर्द: फागुनी बयार से बढ़ा प्रदूषण, कोयले की राख फांक रहे लोग

जाएं तो जाएं कहां? फ्लाईऐश डैम के पास रहने वाले ग्रामीणों का जीना मुहाल ङ्क्षसगरौली. पिछले दो दिन से तेज गति से चल रही फागुनी बयार ने बलियरी बस्ती, शाहपुर और सिद्धिखुर्द में प्रदूषण बढ़ा दिया है। फ्लाईऐश डैम से रहवासी क्षेत्र की ओर हवा का रुख होने से इन गांवों के करीब 1500 परिवार […]

सिंगरौलीFeb 15, 2025 / 06:41 pm

Anil singh kushwah

जाएं तो जाएं कहां? फ्लाईऐश डैम के पास रहने वाले ग्रामीणों का जीना मुहाल

जाएं तो जाएं कहां? फ्लाईऐश डैम के पास रहने वाले ग्रामीणों का जीना मुहाल

जाएं तो जाएं कहां? फ्लाईऐश डैम के पास रहने वाले ग्रामीणों का जीना मुहाल

ङ्क्षसगरौली. पिछले दो दिन से तेज गति से चल रही फागुनी बयार ने बलियरी बस्ती, शाहपुर और सिद्धिखुर्द में प्रदूषण बढ़ा दिया है। फ्लाईऐश डैम से रहवासी क्षेत्र की ओर हवा का रुख होने से इन गांवों के करीब 1500 परिवार कोयले की राख फांक रहे हैं। रहवासियों का खान-पान सब प्रदूषित हो रहा है। घर की छतों पर जमी सफेद धूल बस्ती के लोगों की समस्या बयां करने के लिए काफी है।
राहत के नाम पर केवल औपचारिकता
एनटीपीसी ङ्क्षवध्याचल के बलियरी फ्लाईऐश डैम से सटी हुई बस्ती है। 500 से अधिक घरों वाली इस बस्ती में करीब 90 फीसदी लोग बीपीएल कार्डधारी हैं। मेहनत-मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। बस्ती से करीब 100 की दूरी पर स्थित डैम से उडऩे वाली फ्लाईऐश की धूल बस्ती में एक से डेढ़ किलोमीटर दूर तक रहवासियों की प्रभावित कर रही है। जिला मुख्यालय में ही शाहपुर में एनटीपीसी का फ्लाईऐश डैम और सिद्धिखुर्द में रिलायंस सासन पावर का फ्लाइऐश डैम प्रदूषण का सबब बना हुआ है। इन दोनों गांवों के करीब एक हजार परिवार भी प्रदूषण से परेशान हैं। इस समस्या पर न प्रशासन ध्यान दे रहा है और न विद्युत उत्पादक परियोजना ही कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत समझ रही हैं।
दर्द प्रशासन नहीं, तो फिर जानेगा कौन?
प्रदूषण के दर्द से बलियरी के रहवासी बेहाल हैं। यहां की ममता पनिका बताती हैं, घर की सफाई के घंटे भर बाद ही ही आंगन में फिर धूल जम जाती है। दरवाजा बंद रहने के बाद भी खिड़की और दरवाजों के सुराख से धूल घर में समाती है। राखड़ की धूल ने रहवासियों का जीना दुश्वार कर दिया है। मुन्नू प्रसाद केवट का कहना है, जरा सी हवा चलने से कोयला की राख भोजन की थाली तक पहुंच रही है। कपड़ा साफ करते हैं तो सूखने से पहले ही फिर गंदा हो जाता है।
खामी… जिन पर ध्यान देने की जरूरत
फ्लाईएश उड़े नहीं, इसलिए गीला रखने के निर्देश है। निर्देश पर अमल नहीं होता। डैम में मशीन के जरिए पानी का छिडक़ाव खानापूर्ति तक सीमित है। डैम में पानी भी नहीं भर रहे। डैम से राख को उडऩे से रोकने के लिए लगाए गए पौधे सब सूख गए हैं।
करना है ये, कर नहीं रहे…
फ्लाईऐश से होने वाली समस्या से राहत के लिए एनटीपीसी की कोयला की राख एनसीएल की बंद कोयला खदान में भरना है। अनुबंध के मुताबिक काम शुरू हुआ है लेकिन रफ्तार काफी धीमी है। जिले में पत्थर की 100 से अधिक खदानें बंद हो चुकी हैं। पलाईऐश से इन बंद खदानों को भरने की योजना थी, लेकिन इस पर भी अमल नहीं किया जा रहा। नतीजा, फ्लाईऐश की समस्या बढ़ती ही जा रही है। फ्लाईऐश का ईंट बनाने, सड़क निर्माण और सीमेंट उद्योग में अधिक से अधिक प्रयोग करने के निर्देश हैं, लेकिन यह कवायद भी काफी धीमी है। नतीजा, डैम खाली नहीं हो पा रहे हैं।
जिम्मेदारी से बेहतर प्रयासों की जरूरत
बिजली कंपनियों से निकलने वाली फ्लाईऐश यानी कोयला की राख सामान्य धूल से कई गुना खतरनाक होती है। इसमें कई जहरीले रसायन होते हैं जो सांस व खान-पान के जरिए शरीर में जाकर सेहत बिगाड़ते हैं। पहले भी यह बात सामने आ चुकी है। एनजीटी की ओवरसाइट कमेटी ने बलियरी डैम के किनारे बसी बस्तियों को राहत दिलाने के लिए फ्लाईऐश के अधिक से अधिक उपयोग का सुझाव दिया है। डैम की राख को हमेशा गीला रखने का भी एनजीटी का निर्देश है, लेकिन इस पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पा रहा। इसलिए और बेहतर करने की जरूरत है, ताकि बस्ती के रहवासियों की प्रदूषण से संबंधित समस्या दूर हो सके। इसके लिए प्रशासन और परियोजना दोनों को गंभीर होना पड़ेगा। अश्विनी दुबे, पर्यावरणविद् एवं अधिवक्ता ऑन रेकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट
जिम्मेदारों के अलग-अलग बोल
डैम से राख नहीं उड़े, इसके कई इंतजाम किए गए हैं। स्प्रिंकलर सहित फॉग मशीन भी लगाई गई है, ताकि राख गीली रहे और हवा चलने पर उड़े नहीं। संभव है कि तेज हवा में थोड़ी बहुत राख उड़ती हो। उसे भी देखा जाएगा। -शंकर सुब्रमणियम, उप प्रबंधक (नैगम संचार) एनटीपीसी
फ्लाईऐश डैम में धूल की समस्या को लेकर कंपनी के अधिकारियों से बात की जाएगी। बस्ती में प्रदूषण की समस्या का समाधान कराया जाएगा। अब तक समस्या का समाधान क्यों नहीं किया गया, इस संबंध में संबंधित से बात की जाएगी।
-चंद्रशेखर शुक्ला, कलेक्टर

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