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प्रयोगशालाएं है, लेकिन जांच करने वाले कार्मिक नहीं कैसे सुधरेगी ‘मिट्टी’ की सेहत

– नहीं हो रही समय पर मिट्टी की जांच
– चार में से तीन में कोई कर्मचारी ही नहीं,बंद होने के कगार पर

झालावाड़Jul 10, 2025 / 09:33 pm

harisingh gurjar



एक्सक्लूसिव

हरिसिंह गुर्जर

झालावाड़.जिले में मिट्टी की जांच सिर्फ दिखावा बनकर रह गई है। करोड़ों रुपए खर्च कर मिट्टी जांच के लिए प्रयोगशालाएं तो खोल दी गई, लेकिन चार में से एक ही प्रयोगशालाएं चल रही है। ऐसे में किसान मिट्टी की जांच नहीं करवा पा रहे हैं। जिले में खोली गई प्रयोगशालाओं में पद तो स्वीकृत है,लेकिन स्टाफ नहीं है। सूत्रों की मानें तो एक प्रयोगशाला को शुरू करने में करीब 25 से 30 लाख रुपए का खर्चा आता हैं। प्रदेश में खेती-बाड़ी की उपज बढ़ाने के लिए किसान मिट्टी की जांच करवाते हैं। कम मात्रा में मिलने वाले पोषक तत्वों वाली खाद मिट्टी में डालकर उसे उपजाऊ बनाते हैं, ताकि अच्छी पैदावार हो सके। लेकिन प्रदेशभर में 101 प्रयोगशालाओं में 45 प्रयोगशालाएं बंद पड़ी है। जिला मुख्यालय पर संचालित दो प्रयोगशालाओं में से एक में एक ही कर्मचारी है, वहीं एक में काम करने वाला कोई नहीं है।

इतने कार्मिक होने चाहिए-

मिट्टी जांच के लिए एक प्रयोगशाला में 6 कार्मिक होने जरूरी है, इसमें एक कृषि अनुसंधान अधिकारी, 2 सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी, एक-एक कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक, प्रयोगशाला सहायक व प्रयोगशाला उपस्थक होता है। लेकिन जिले में तीन में एक भी कर्मचारी नहीं है, एक में एक ही कर्मचारी है।

मिट्टी परीक्षण से किसानों को ये है फायदे
उपयुक्त खाद का छिडक़ाव: खेत में किसानों को मिट्टी की जरूरत के अनुसार कितना पोषक तत्व उपलब्ध करवाना है, जिससे लागत में कमी हो और उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो सके।
सरकारी सहायता: सरकार की तरफ से भी मिट्टी की जांच के लिए किसानों की मदद की जाती है। प्रधानमंत्री सॉयल हेल्थ कार्ड योजना भी मिट्टी की जांच के लिए बनाई गई है।अब हर योजना का लाभ लेने के लिए मृदा की जांच जरुरी कर दिया है।

उपज प्राप्ति में वृद्धि: मिट्टी की जांच से किसान अपने खेतों में उपयुक्त खाद का छिड़काव करके उपज प्राप्ति में वृद्धि कर सकते हैं।

शोपीस बन गई मिट्टी प्रयोगशालाएं-
केस एक-
बस स्टैंड पर कृषि विभाग की ओर से केन्द्रीय मिट्टी प्रयोगशाला संचालि है। यहां एक ही अनुसंधान अधिकारी है। शेष सभी पद खाली है। ऐसे में समय पर जांच नहीं हो पा रही है। केस दो-
केन्द्र सरकार के सहयोग से संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र में मिट्टी प्रयोशाला है। लेकिन यहां मृदा विशेषज्ञ का पदखाली चल रहा है। ऐसे में यहां भी मिट्टी का परीक्षण नहीं हो रहा।
केस तीन-
उपखंड स्तर पर भवानीमंडी मेंमिट्टी प्रयोगशाला संचालित है, लेकिन एक भी कर्मचारी नहीं होने से प्रयोशाला शोपीस बनी हुई है।
केस चार-
उपखंड स्तर पर अकलेरा कृषि उपजमंडी परिसर में कृषि विभाग की ओर से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला खोली गई थी, लेकिन कर्मचारियों के नहीं होने से प्रयोगशाला पर ताले लगे हुए है।

इसलिए जरुरी है जांच-
मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में किसानों की भूमि के नमूने लेते हुए प्रयोगशाला में किसान की भूमि में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है तथा कौन से पोषक तत्व उसमें पर्याप्त मात्रा में हैं इसकी जांच की जाती है। इसके अंतर्गत किसान के भूमि में 12 तरह के पोषक तत्वों की जांच की जाती है, जिसमें पी एच, ई सी, जैविक कार्बन, नाइट्रोजनए फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, जिंक, बोरान, आयरन, मैंगनीज, कॉपर की जांच लैब के माध्यम से करते हुए किसान को यह बताना होता है कि उसकी भूमि में किन पोषक तत्वों की कमी है और उसे दूर करने के लिए वह क्या उपचार कर सकता है।

मिट्टी होती जा रही है बंजर-

मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए किसान अंधाधुंध रासायनिक खाद का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। ऐसे में किसानों के लिए जरूरी है कि वह समय-समय पर मिट्टी की जांच करवाएं। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि किसान कम रासायनिक खादों का कम प्रयोग करें। अधिक प्रयोग से पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है साथ ही खेत भी बंजर होते जा रहे हैं। ऐसे में जिले में मिट्टी की जांच जरूरी हो गई है। लेकिन जांच करने वाले कोई नहीं है।

मृदा परीक्षण 2025 : फैक्ट फाइल
जिले में सैंपल का लक्ष्य-12000
जिले में सैंपल लिए गए-8667
जिले में सैंपल की जांच हुई-5422

जिले में सॉयल हैल्थ कार्ड जारी हुए- 3245

मांग पत्र भेज रखा-
जिले में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में स्टाफ की कमी तो है, इसके लिए जयपुर मांगपत्र भेज रखाहै। अगर पर्याप्त स्टाफ मिले तो किसानों की मिट्टी की जांच हो सके।कर्मचारियों की कमी की वजह से नमूने जयपुर भेजकर जांच करवाते है।

कैलाशचन्द मीणा, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, झालावाड़।

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