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जरूरी नहीं है कि आप बहुत टैलेंटेड हों, रुचि मायने रखती है

बेंगलुरु की पिक्सल स्पेस भारत की पहली निजी कंपनी बन गई है जिसके पास हाइपरस्पेक्ट्रल आवृत्ति वाला सैटेलाइट है जो कृषि और रक्षा क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी हो सकता है। पिक्कल के संस्थापक और सीईओ अवैस अहमद, एक ऐसे उद्यमी हैं जिन्होंने अपनी रुचियों को एक पेशेवर यात्रा में बदल दिया।

जयपुरJan 17, 2025 / 12:24 pm

Hemant Pandey

किसी भी सफल व्यवसाय या परियोजना के लिए ज्यादा जरूरी यह है कि उसमें रुचि हो, न कि सिर्फ टैलेंट का होना। इंटरनेट के इस युग में जानकारी और शिक्षा की कोई कमी नहीं है, हर कोई अपनी रुचियों के आधार पर कुछ भी सीख सकता है और नया बना सकता है। अवैस की यात्रा ने इस विचार को सिद्ध कर दिखाया है।

किसी भी सफल व्यवसाय या परियोजना के लिए ज्यादा जरूरी यह है कि उसमें रुचि हो, न कि सिर्फ टैलेंट का होना। इंटरनेट के इस युग में जानकारी और शिक्षा की कोई कमी नहीं है, हर कोई अपनी रुचियों के आधार पर कुछ भी सीख सकता है और नया बना सकता है। अवैस की यात्रा ने इस विचार को सिद्ध कर दिखाया है।

बेंगलुरु की पिक्सल स्पेस भारत की पहली निजी कंपनी बन गई है जिसके पास हाइपरस्पेक्ट्रल आवृत्ति वाला सैटेलाइट है जो कृषि और रक्षा क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी हो सकता है। पिक्कल के संस्थापक और सीईओ अवैस अहमद, एक ऐसे उद्यमी हैं जिन्होंने अपनी रुचियों को एक पेशेवर यात्रा में बदल दिया। उनका मानना है कि किसी भी सफल व्यवसाय या परियोजना के लिए ज्यादा जरूरी यह है कि उसमें रुचि हो, न कि सिर्फ टैलेंट का होना। इंटरनेट के इस युग में जानकारी और शिक्षा की कोई कमी नहीं है, हर कोई अपनी रुचियों के आधार पर कुछ भी सीख सकता है और नया बना सकता है। अवैस की यात्रा ने इस विचार को सिद्ध कर दिखाया है।
अवैस का कहना है कि बचपन में ही उन्हें अंतरिक्ष के बारे में गहरी रुचि थी। नासा क्या कर रहा है, आसमान में क्या हो रहा है, कोलंबिया शटल जैसी घटनाओं ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। यही वजह थी कि अवैस ने अपने करियर की दिशा अंतरिक्ष तकनीक में तय की। ग्रेजुएशन (बिट्स पिलानी) के दौरान उन्होंने नैनोसेटेलाइट टीम में शामिल होकर इस क्षेत्र के बारे में विस्तार से सीखा। इस दौरान उनके सीनियर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ काम कर रहे थे, जिससे उनकी अंतरिक्ष तकनीक के प्रति रुचि और भी बढ़ गई। इस प्रक्रिया में, उन्हें छोटे सैटेलाइट्स बनाने की कला सीखने का मौका मिला और उन्होंने जान लिया कि इन छोटे उपकरणों में कितनी जटिलताएं छिपी होती हैं।
वर्ष 2015 में अवैस को हाइपरलूप इंडिया के संस्थापक टीम में शामिल होने का अवसर मिला। यह स्पेस एक्स द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता थी जिसमें भारत भर से 2500 आवेदन आए थे। अवैस को 25 फाइनलिस्टों में चुना गया और उन्हें स्पेस एक्स के मुख्यालय लॉस एंजिल्स जाने का मौका मिला। स्पेस एक्स में तकनीकी उपकरणों और परियोजनाओं को देखकर उनका उत्साह और भी बढ़ा। वहीं से पिक्सल कम्पनी के विचार ने जन्म लिया।
पिक्सल के संस्थापक के तौर पर, अवैस और उनके साथी क्षितिज खंडेलवाल ने तय किया कि वे सैटेलाइट इमेजरी पर आधारित एआई मॉडल्स तैयार करेंगे। इन मॉडल्स का उद्देश्य सैटेलाइट इमेजरी का विश्लेषण करना था। इसके लिए दोनों ने आईबीएम एआई एक्सप्रेस प्रतियोगिता में भाग लिया। इस समय तक उनके पास कई तकनीकी क्षेत्रों पर काम करने के विचार थे, जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वास्थ्य तकनीक, जीनोम एडिटिंग और विज्ञान-फाई तकनीकें शामिल थीं। लेकिन उन्होंने निर्णय लिया कि वे सबसे पहले कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अंतरिक्ष तकनीक पर ध्यान देंगे।
हालांकि, जब वे सैटेलाइट इमेजरी का विश्लेषण करने के लिए डेटा और रिजॉल्यूशन की तलाश में थे, तो उन्हें यह एहसास हुआ कि वे जिस डेटा का उपयोग करना चाहते थे, वह आसानी से उपलब्ध नहीं है। अधिकांश ओपन-सोर्स डेटा जैसे नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के डेटा सेट्स का उपयोग किया जा रहा था, लेकिन वह उनके विश्लेषण के लिए पर्याप्त नहीं था। इसके बाद, अवैस और क्षितिज ने एक नया रास्ता अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने सोचा कि अगर कोई अन्य उन्हें यह डेटा नहीं दे रहा है, तो क्यों न वे खुद सैटेलाइट्स बनाएं।
सैटेलाइट्स बनाने के लिए उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स की मिनीकरण, क्यूब सैट्स मानक और आपूर्ति श्रृंखला तक आसान पहुंच का फायदा उठाया। इस विचार से पिक्सल का जन्म हुआ। 2018 में पिक्सल की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे फंडिंग जुटाकर निर्माण प्रक्रिया शुरू हुई। शुरुआत में टीम में सिर्फ दो लोग थे, लेकिन अब भारत में सात लोग इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। अवैस का मानना है कि सफलता के लिए जरूरी नहीं है कि आप बहुत टैलेंटेड हों, बल्कि यह जरूरी है कि आपकी रुचि मजबूत हो। अगर किसी चीज़ में रुचि हो, तो इंटरनेट जैसे स्रोतों से आप उसे आसानी से सीख सकते हैं। इंटरनेट ने शिक्षा को इस हद तक आसान बना दिया है कि आप दुनिया के किसी भी कोने से कुछ भी सीख सकते हैं। उनका कहना है कि किसी विशेष कौशल की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उस क्षेत्र में सीखने का जुनून होना चाहिए।
अवैस ने अपनी यात्रा के दौरान कई समस्याओं का सामना किया, लेकिन उनका मानना है कि समस्याएं जीवन का हिस्सा होती हैं। उनका कहना है कि, “जब तक आप किसी काम को शुरू नहीं करते, आप कहीं नहीं पहुंच सकते। योजना बनाना और पढ़ना जरूरी है, लेकिन असली बदलाव तब आता है जब आप उसे लागू करना शुरू करते हैं।” अवैस का संदेश साफ है: जरूरी नहीं है कि आप टैलेंटेड हों, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि आप जिस चीज़ में रुचि रखते हैं और उस पर काम करते हैं। उनका कहना है कि इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करना आसान हो गया है और अगर कुछ सीखना चाहते हैं, तो बस उसे सीखने का जुनून रखें और चलते रहें। अगर आप भी किसी क्षेत्र में रुचि रखते हैं और कुछ नया करना चाहते हैं, तो बस शुरू कर दीजिए। यात्रा कठिन हो सकती है, लेकिन अंत में सफलता आपके हाथ होगी। (भिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर)

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