scriptOpinion : मर्यादा की आड़ में हत्याएं सभ्य समाज पर कलंक | Opinion: Murders in the name of dignity are a blot on civilized society | Patrika News
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Opinion : मर्यादा की आड़ में हत्याएं सभ्य समाज पर कलंक

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में समाज को झकझोर देने वाली घटना में एक पिता ने अपनी बेटी की गोली मारकर इसलिए हत्या कर दी कि वह अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहती थी। पिता उसकी शादी जिस लड़के से करना चाहता था, उसके लिए बेटी तैयार नहीं थी। ऐसी घटनाएं न सिर्फ मानवता के […]

जयपुरJan 16, 2025 / 10:02 pm

MUKESH BHUSHAN

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में समाज को झकझोर देने वाली घटना में एक पिता ने अपनी बेटी की गोली मारकर इसलिए हत्या कर दी कि वह अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहती थी। पिता उसकी शादी जिस लड़के से करना चाहता था, उसके लिए बेटी तैयार नहीं थी। ऐसी घटनाएं न सिर्फ मानवता के प्रति अपराध हैं बल्कि, हमारे सभ्य समाज और संस्कृति के माथे पर कलंक भी हैं जिसकी उन्नति का एक पैमाना महिलाओं-बच्चों के साथ सलूक भी है। सबसे प्राचीन सभ्यता होने का दम भरने के बावजूद भारतीय पुरुष यदि स्त्री की निजता, उसके अस्तित्व और उसके अधिकारों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है तो यह समाज की उस विकृति को ही उजागर करता है जिसका इलाज किए बिना हम विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन भी जाएं तो समाज को कोई लाभ नहीं होगा। महिलाओं के प्रति अपराध की जड़ लैंगिक असमानता ही है। पुरुष सत्तात्मक सोच को बदले बिना इन अपराधों को रोकना असंभव है। इसी सोच के कारण स्त्रियों को अपनी संपत्ति समझने के भ्रम में कोई पुरुष यह बर्दाश्त नहीं कर पाता कि कोई स्त्री, चाहे वह कथित दुलारी बेटी ही क्यों न हो, अपनी इच्छाओं के अनुसार खुशियां चुन सकती है। स्त्रियों को जाने-अनजाने दोयम दर्जे का समझते ही कोई पुरुष बिना किसी पुरुषार्थ के ही स्वयं को अव्वल मानने लगता है।
पिछले दशकों में स्त्रियों ने बार-बार यह साबित किया है कि वह किसी भी तरह पुरुषों से कमतर नहीं है। कमतर समझे जाने के खिलाफ स्त्रियों का विद्रोह भी उसके खिलाफ अपराध को बढ़ा रहा है क्योंकि जबरदस्ती किसी काम के लिए राजी करना ‘निर्बलों’ का अंतिम हथियार होता है। अपनी बेटी को मौत की नींद सुला देने वाले पिता ने उस अंतिम हथियार का इस्तेमाल करके अपनी ‘मर्यादा’ के मुगालते को जिंदा रखना ज्यादा जरूरी समझा ताकि ‘पुरुष वर्चस्व’ बना रहे! भारत में ‘ऑनर किलिंग’ के नाम से चर्चित ऐसी ऐसी ‘हॉरर किलिंग’ को कई समाज ने ऐसे स्वीकार कर लिया है जैसे यह कोई न्याय देने जैसा काम हो। कई समाजों में मर्जी का जीवन साथी चुनने वालों को बाकायदा पंचायत बैठाकर सजा सुनाई जाती है और कोई भी पुलिस में केस दर्ज नहीं कराता। हालांकि पिछले कुछ सालों में इस दिशा में भी जागरूकता आई है, पर अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। दुनिया में हर साल करीब पांच हजार ऐसी ‘हॉरर किलिंग’ हो रही है, लेकिन इसकी वास्तविक संख्या बीस हजार से भी ज्यादा हो सकती है। ज्यादातर मामले भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में हैं, जो शर्म की बात है।

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