राजस्व, पुलिस, खनन,परिवहन और वन विभाग को संयुक्त टीमें बनाई गई, लेकिन ये अभियान कागजी ही साबित हुए। फौरी कार्रवाई कर अभियान की इतिश्री कर ली गई। बूंदी जिले में बजरी के अवैध खनन और परिवहन को लेकर हाइकोर्ट इतना नाराज हुआ कि उसे सारे मामले की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश देने पड़े। प्रदेश में अवैध खनन के खिलाफ अभियान और कार्रवाई औपचारिकता से आगे बढ़ ही नहीं पा रहा। पिछले कुछ सालों में पनपे बजरी माफिया व दूसरे अवैध खनन करने वाले बेखौफ होकर सरकारी राजस्व को चपतलगा रहे हैं। इसमें सरकारी कारिंदों की मिलीभगत भी आ रही है।
बजरी लेकर दिन रात सड़कों पर दौड़ते ट्रैक्टर-ट्रॉली, ट्रक, डंपर, ट्रेलर आदि को देखकर लगता नहीं कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है। जिन इलाकों में खनन के लिए लीज नहीं है, वहां भी जिम्मेदार महकमों की नाक के नीचे जमकर खनन किया जा रहा है। विभागों की मिलीभगत से कहीं का रवन्ना किसी और जगह दिखाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते बजरी माफि या ने प्रदेश में करीब चार साल तक जमकर चांदी कूटी। पुलिस और खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से नदियों से बजरी का जबरदस्त अवैध दोहन हुआ। पुलिस की लिप्तता भी सामने आई। लेकिन हालात जस के तस बने रहे। सुप्रीम कोर्ट ने नियमानुसार लीज जारी करने के आदेश दिए थे, लेकिन खनन विभाग प्रक्रियाओं में ही उलझा हुआ है।
इसके चलते सभी जगह लीज जारी नहीं हो पा रही। सिर्फ कुछ ही इलाकों में वैध खनन हो रहा है। इन लीज की आड़ में माफि या धड़ल्ले से पूरे इलाके में अवैध खनन कर रहे हैं। कई जिलों में औचक निरीक्षण में अवैध खनन भी पकड़ा है। सरकार को चाहिए कि वह सभी क्षेत्रों में लीज जारी कर अवैध खनन पर सख्ती से रोक लगाए। माफियाओं के साथ मिलीभगत करने वाले कारिंदों पर कड़ी कार्रवाई। बजरी सस्ती देकर घर बनाने का सपना देखने वालों को राहत पहुंचाए।
जयप्रकाश सिंह