बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सामने छोटे व्यवसाय टिक नहीं पाते हैं। घर-घर, गांव-गांव में हर वस्तुओं की होम डिलीवरी होने लगी है, तब से देश के छोटे व्यवसायों में मंदी का दौर शुरू हो गया है। अब हर वस्तुएं खाना, कपड़े,जूते,सौंदर्य प्रसाधन,फास्ट फूड, आदि का बाजार बड़ी-बड़ी कम्पनियों ने हथिया लिया है। देश की आर्थिक नीतियां बड़ी कंपनियों के लिए अधिक फायदेमंद है।
-संजय डागा, हातोद, इन्दौर
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आर्थिक नीतियों में छोटे व्यवसायों के लिए अवसर तो दिए गए हैं लेकिन वे सैद्धांतिक ज्यादा हैं। केवल नीतियां बना देने से ही आम लोगों तक फायदा नहीं पहुंच पाता बल्कि धरातल पर उसकी क्रियान्विति में क्या कठिनाइयां आ रही हैं और उन्हें कैसे दूर किया जाए। इस पर भी मंथन जरूरी है। “प्रधानमंत्री मुद्रा योजना” के अंतर्गत बिना गारंटी ऋण उपलब्ध कराना है, परन्तु हक़ीक़त में सरलता से ये ऋण छोटे उद्यमी को नही मिल पाता है। किसी भी प्रकार का ऋण बिना रिश्वत के बैंकों द्वारा नही दिया जाता है, नीति निर्माण से पहले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु कोई सार्थक उपाय किए जाएं।
— शंकर गिरि, रावतसर, हनुमानगढ़(राजस्थान)
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वर्तमान समय में हमारे देश की आर्थिक नीतियां केवल बड़े पूंजीपति वर्ग को समर्थन प्रदान करती है। बड़े उद्योगों को बिना गारंटी के करोड़ों के ऋण मिल जाते हैं, अपितु आम लोगो द्वारा गारंटी देने के बावजूद ऋण हेतु अत्यंत तकलीफों और हताशा का सामना करना पड़ता है।
— विनायक गोयल, रतलाम, मध्यप्रदेश
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देश की आर्थिक नीतियों में छोटे व्यवसाययों के लिए अवसर तो मौजूद है परंतु उनकी पूर्ण उपलब्धि और प्रभावशीलता जमीनी स्तर पर मिश्रित है। छोटे शहरो और गांवों में व्यवसायों के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं की बहुत कमी है। बैंकों में ऋण प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। बड़े ब्रांड और मल्टीनेशनल कंपनियों की तुलना में छोटे व्यवसायों को टिके रहना मुश्किल हो जाता है। इन नीतियों को प्रशिक्षण के साथ जोड़ा जाए तो छोटे व्यवसायों को और अधिक बेहतर अवसर मिल सकते हैं
— मीना सनाढ्य, उदयपुर राजस्थान
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देश की आर्थिक नीतियों ने छोटे व्यवसायों को कुछ अवसर अवश्य दिए हैं, जैसे मुद्रा योजन और स्टार्टअप इण्डिया, परंतु जमीनी स्तर पर पूंजी, तकनीक और बाजार तक पहुंच में अभी भी काफी चुनौतियां बनी हुई हैं। नौकरशाही जटिल प्रक्रिया और नियमों की आड़ में मनमानी करती है। इसलिए छोटे व्यवसायों के लिए अवसर सीमित हैं। नीतियों के क्रियान्वयन में सुधार की आवश्यकता है।
— डॉ. अब्दुल्लाह क़ुरैशी, जोधपुर
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आर्थिक नीतियां छोटे व्यवसायों को कुछ अवसर देती हैं, जैसे सरकारी योजनाएं और बड़ा बाज़ार। परंतु उन्हें वित्त की कमी, खराब बुनियादी ढांचा और नियमों का पालन करने में कठिनाई जैसी चुनौतियां भी हैं। बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा और कुशल श्रमिकों की कमी भी बाधाएं हैं। सभी छोटे व्यवसायों के लिए अवसर पर्याप्त नहीं हैं। अधिक समावेशी विकास के लिए इन चुनौतियों का समाधान आवश्यक है।
- हिमांशु अंगिरा, महुआ (दौसा)