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आपकी बात… भारत और बांग्लादेश के बीच चल रहे तनाव को आप कैसे देखते है?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

जयपुरJan 14, 2025 / 03:31 pm

Hemant Pandey

बांग्लादेश के निर्माण में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को भूलकर वहां की अंतरिम सरकार भारत विरोधी रवैया अपना रही है। इस कारण भारत-बांग्लादेश संबंधों में सुधार की संभावना कम दिखती है।

बांग्लादेश के निर्माण में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को भूलकर वहां की अंतरिम सरकार भारत विरोधी रवैया अपना रही है। इस कारण भारत-बांग्लादेश संबंधों में सुधार की संभावना कम दिखती है।

भारत तत्काल प्रभाव से बांग्लादेश को सहायता करना बंद करे

शान्ति का नोबल पुरस्कार प्राप्त मोहम्मद युनूस के बांग्लादेश में फैल रही अशांति पर विचार करना चाहिए। बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक उनकी कट्टरवादी हिंसक सोच के शिकार हो रहे हैं और यही भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव का मुख्य कारण बन रहा है। दुखद है कि विश्व समुदाय मौन है और इस घटनाक्रम को देख अक्रियाशील बना हुआ है। आश्चर्य होता है कि शांति बहाल करने में असमर्थ व्यक्ति को शांति के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हिंदुओं पर हो रही बर्बरता, मंदिरों पर हमले, इस्कॉन के अनुयायियों को जान से मारने की धमकियों और अब ईसाई समुदाय के साथ हो रही हिंसा ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। इस पर भारत को तत्काल प्रभाव से बांग्लादेश को दी जाने वाली सहायता बंद कर और राजनयिक संबंध समाप्त कर देने चाहिए।
— संजय निघोजकर, धार (मप्र)

भारत-बांग्लादेश संबंधों में सुधार की संभावना कम

बांग्लादेश पाकिस्तान की प्रेरित नीति पर चल रहा है और शेख हसीना के भारत में शरण लेने से वह नाराज है। बांग्लादेश के निर्माण में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को भूलकर वहां की अंतरिम सरकार भारत विरोधी रवैया अपना रही है। इस कारण भारत-बांग्लादेश संबंधों में सुधार की संभावना कम दिखती है।
— ललित महालकरी, इंदौर

अवैध घुसपैठ पर रोक लगाना प्राथमिकता

भारत को बांग्लादेश के साथ सीमा पर सहयोग सुनिश्चित करने के लिए सशक्त कूटनीति अपनानी चाहिए। बाड़ लगाने के काम को तेज़ी से पूरा करना और अवैध घुसपैठ पर रोक लगाना प्राथमिकता होनी चाहिए। असहयोग के मामले में भारत को रणनीतिक और आर्थिक दबाव बनाना आवश्यक है। साथ ही, सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए रिश्तों को संतुलित और स्थिर बनाए रखना चाहिए।
— हरेंद्र कीलका, दुबई प्रवासी

अवैध घुसपैठ पर नियंत्रण लगाना होगा

भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ द्वारा लगाई जा रही बाड़ को लेकर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की ओर से आपत्ति जताई गई है, जिससे सीमा पर तनाव बढ़ा है। बाड़ लगाने से मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और अवैध घुसपैठ पर नियंत्रण लगना तय है, और यही बांग्लादेश के लिए चिंता का कारण बना है।
— अजीतसिंह सिसोदिया, बीकानेर

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा

पिछले कुछ महीनों में भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव ने राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संबंधों में खटास पैदा की है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ क्रूर व्यवहार हो रहा है, उनके घर जलाए जा रहे हैं और महिलाओं के साथ जघन्य अपराध हो रहे हैं। भारत सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए और बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार से इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
— गजेंद्र चौहान कसौदा, डीग

देश की सुरक्षा और नागरिकों का सम्मान

भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए यह विचार करना आवश्यक है कि भारत ने बांग्लादेश की कितनी मदद की। शिक्षा, व्यापार, राजनीति और यहां तक कि शरण देने के मामलों में भी भारत ने सहायता दी है। लेकिन जब बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों को मारने की घटनाएं हो रही हैं, तो भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता देनी चाहिए और सभी व्यापारिक संबंध समाप्त कर देने चाहिए। भारत को बांग्लादेश से संबंधित मुद्दों पर कड़े कदम उठाने चाहिए, जैसे कि भारतीय दूतावास से सुरक्षा सुनिश्चित करना, और भारत में बसने वाले नागरिकों की रक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए।
— मुकेश सोनी, जयपुर

हिंदुओं की असुरक्षा तनाव का कारण

भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव मुख्य रूप से वहाँ हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की वजह से बना हुआ है। हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और हिंदुओं के साथ जो मारपीट हो रही है, उनके लिए स्थानीय उपद्रवियों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। सत्ताधारी सरकार हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठा रही है, जिसकी वजह से बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। हिंदुओं के प्रति होने वाली हिंसा की बात भारत ने ‘अंतरराष्ट्रीय शांति संगठनों’ में भी जताई है, ताकि शांति के यथोचित हल निकाले जा सकें।
  • नरेश कानूनगो, देवास

भारत और बांग्लादेश के सीमा विवाद पर दृष्टिकोण

भारत और बांग्लादेश के मध्य जो सीमा विवाद है, यह एक तरह से अंग्रेजों और पाकिस्तान से विरासत में मिला है। 2011 से 2015 के बीच शेख हसीना के शासनकाल में इस विवाद को सुलझाने की कोशिशें की गईं। उनके बाद सत्ता बदलते ही यह विवाद फिर से उभर आया। बांग्लादेश की सीमा से घुसपैठ, तस्करी, नकली नोटों का कारोबार और संदिग्ध लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए सीमा पर बाड़ेबंदी आवश्यक हो गई है, जो भारत के लिए जरूरी और उचित भी है। इस मुद्दे पर बांग्लादेश विवाद कर रहा है।
  • निर्मला देवी, अलवर

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