अदिति के पिता सूर्यमणि शर्मा एक कंपनी में छोटी-मोटी नौकरी करते थे, जो कोरोनाकाल में चली गई। अदिति ने कहा, कई साल पहले मैंने एक धनुष खरीदा था, जो डेढ़ लाख रुपए का आया था। यह धनुष कोरोनाकाल में लॉकडाउन के कारण टूट गया था। उसी दौरान पिता की नौकरी भी चली गई, लेकिन सिर्फ मेरा खेल जारी रह सके, इसके लिए उन्होंने 2021 में 1.60 लाख रुपए का लोन लिया था और मुझे नया धनुष और तीर खरीद कर दिए।
अदिति के पिता की अभी तक नौकरी नहीं लगी है। पिछले कुछ सालों में परिवार के ऊपर कर्ज भी काफी बढ़ गया है। अदिति की मां ने कहा, धनुष के अलावा तीर खरीदने के लिए भी हमें कई बार लोन लेना पड़ा। लेकिन अब हमारी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी हैं। हम अदिति तीर और अन्य साजो-सामान नहीं दिला सकते। हमारी सरकार की ओर आर्थिक सहायता की टकटकी लगाए हुए देख रहे हैं। सरकार यदि थोड़ मदद कर दे, तो अदिति का करियर आगे बढ़ सकता है।
अदिति की मां ने कहा, हरियाणा के सोनीपत में एक प्रतिस्पर्धा के दौरान खराब तीरों के कारण अदिति का एक अंक काट लिया गया था। उसी एक अंक की वजह से वह एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में क्वालीफाई करने से चूक गई थी। कई बार अदिति का हौसला टूटता है, पर हम उसे आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं, लेकिन अब हमारी हालत खस्ताहाल हो चुकी है।
अदिति ने कहा, मैं अभी झारखंड की शीर्ष तीरंदाजों में शामिल हूं। इस बार मैंने झारखंड के लिए व्यक्तिगत तौर पर नेशनल गेम्स के लिए क्वालीफाई किया है। मुझे इन खेलों में मेडल लाना है और इसके लिए मैं रोज 7 से 8 घंटे अभ्यास करती हूं। लेकिन खराब आर्थिक स्थिति और सुविधाएं नहीं मिलने के कारण मैं अच्छी तैयारी कैसे करूं।