सूचना मिलने पर बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंचा। जिला अस्पताल प्रबंधन ने जाब टीम बनाई और लापरवाही मिलने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया तब परिजन गाने। प्रभारी सिविल सर्जन ने भी स्वीकार किया कि गर्भवती के इलाज में लापरवाही बरती गई, जिससे जच्चा-बच्चा दीनों की मौत हुई।
चार घंटे में नहीं पहुंचीं महिला डॉक्टर
परिजनों ने बताया कि रणा 1.10 बजे से सुबह 5 बजे तक गर्भवती प्रसव पीड़ा से कराहती रही। हमने कहा. डॉ मीना कॉल रिसीव नहीं कर रही है तो किसी अन्य महिला चिकित्सक सुलगाकर जान चवा दो। चार घंटे तक रमन छटपटाती रही पर किसी डॉक्टर ने उसका महिला डॉक्टर ने उसका इलाज नहीं किया। बिना इलाज के ही सुबह पांच बजे अधिकार उसने दम तोड़ दिया। गर्भस्थ शिशु की भी दुनिया देखने के पहले ही सांस व्यम गई। परिजनों ने ऐसे गैरजिम्मेवार और अमानवीय लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज कराने की मांग की है। फ्लाइट हाई रिस्क प्रेगनेंसी का था केस
गर्भवती रमन चौधरी पति हिम्मु चौधरी निवासी अमानगंज की प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमानगंज लेकर पहुंचे। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी होने पर चिकित्सकों ने गर्भवती को प्राथमिक इलाज के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन 29-30 मई की रात 1.10 बजे गर्भवती को लेकर जिला अस्पताल पहुचे।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार जिला अस्पताल की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. मीना नामदेव को कॉल किया गया। परिजनों ने आरोप लगाया, डॉ मीना नामदेव को स्टॉफ ने रात 1.10 बजे से सुबह 5 बजे तक कई बार कॉल किया पर डॉ मीना ने कॉल रिसीव नहीं किया।
सीएस ने स्वीकारा लापरबाही हुई
जच्चा-बच्चा की मौत के बाद परिजनों ने सुचह जमकर हंगामा किया और डॉक्टर पर लापरवाही के आरोप लगाए। गुस्साए परिजन अस्पताल के गेट पर ही धरने पर बैठ गए। इससे बैकपुष्ट में आए जिला अस्पताल प्रबंधन ने पूरे मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम बनाई। जिसमें डीएचओ डॉ एमके गुप्ता, डॉ नीरज जैन, डॉ अपराजिता तिवारी और दो लिपिक रामचहादुर कोदर, महिपाल सिंह की शामिल किया गया। जांच में लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई का आश्वान दिया तब गुस्साए परिजन माने।