Rajasthan: रात के अंधेरे में लाखों कीमत के चंदन के पेड़ों पर चल रही कुल्हाड़ी, यहां कटा पेड़ छोड़कर भागे चोर
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में चंदन के पेड़ काटने का मामला सामने आया है। लोगों की भनक लगते ही चोर कटा पेड़ छोड़कर फरार हो गए। चंदन के पेड़ों की कीमत लाखों में होती है।
प्रतापगढ़। जिले में चंदन के पेड़ों पर तस्करों की नजर लगातार बढ़ती जा रही है। इन दिनों खासकर बारिश के मौसम में खेतों और जंगलों में आवाजाही कम होने का फायदा उठाकर तस्कर गिरोह सक्रिय हो गए हैं। रात के अंधेरे में चुपचाप खेतों की मेड़ और जंगल की ढलानों से चंदन के पेड़ काटे जा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के कई किसानों ने बताया कि खेतों की मेड़ों पर वर्षों से चंदन के पेड़ लगे हुए हैं। जो काफी बड़े हो गए हैं, लेकिन हाल ही में तस्करों की नजर इन पेड़ों पर पड़ गई है। ऐसे में किसानों को इनका संरक्षण करना चुनौती बन गया है। इससे न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि मानसिक रूप से भी किसान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
संगठित गिरोह का हो सकता है काम
किसानों का मानना है कि यह काम एक-दो व्यक्तियों का नहीं बल्कि एक संगठित गिरोह का हो सकता है, जो योजनाबद्ध तरीके से चंदन की तस्करी को अंजाम दे रहा है। बारिश के दौरान जब खेतों और जंगलों में लोगों की आवाजाही कम हो जाती है, तब ये गिरोह रात के समय सक्रिय हो जाते हैं और आधुनिक यंत्रों से पेड़ों को काटकर फरार हो जाते हैं।
कटा चंदन का पेड़ छोड़कर भागे चोर
अरनोद कस्बे के प्रतापगढ़ रोड पर रात को ढाबे के पास खेत की मेड़ पर चंदन का पेड़ काटा गया। हालांकि आवाजाही होने से यह कटा पेड़ तस्कर नहीं ले जा सके। इस संबंध में पुलिस को भी सूचना दी गई है। यहां ढाबे के पास खेत की मेड़ पर चंदन का पेड़ था। इसे रात को कुछ लोग कटाई कर रहे थे। कटाई के बाद यह मुय रोड पर गिरा। इससे यहां आवाजाही होने से ढाबे मालिक को सूचना दी। जहां लोग मौके पर पहुंचे। वहां एक पेड़ आरी से कटा हुआ पड़ा था। जबकि खेतों में कुछ लोग भागते हुए दिखे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
ग्रामीणों ने की सुरक्षा की मांग
क्षेत्रवासियों की मांग है कि वन विभाग और पुलिस मिलकर ऐसे गिरोहों पर शिकंजा कसें। खेतों और जंगलों में गश्त बढ़ाई जाए और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जाए।
चिंता का विषय, करनी होगी सुरक्षा
चंदन जैसी बहुमूल्य वन संपदा पर हो रही तस्करी चिंता का विषय है। यह न केवल पर्यावरणीय नुकसान है। बल्कि किसानों की मेहनत और हक पर भी सीधा हमला है। प्रशासन को चाहिए कि त्वरित कार्रवाई कर ऐसे गिरोहों को बेनकाब करें और इस अमूल्य वृक्ष की रक्षा सुनिश्चित की जाए। – लक्ष्मणसिंह चिकलाड़, पर्यावरण प्रेमी
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