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“महामंडलेश्वर की डिग्री आप रातों-रात नहीं ले सकतें…” किन्नर अखाडा के संस्थापक ने ममता कुलकर्णी पर लगाएं संगीन आरोप ! जानें क्या है पूरा मामला ? 

Ajay Das on Mamta Kulkarni: बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े से निष्काषित कर दिया गे है। किन्नर अखाडा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने बताया पूरा मामला ? 

प्रयागराजJan 31, 2025 / 06:51 pm

Nishant Kumar

Mamta Kulkarni

Ajay Das on Mamta Kulkarni

Rishi Ajay Das on Mamta Kulkarni: बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाडा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने निष्कासित कर दिया है। उन्होंने ममता कुलकर्णी के साथ-साथ महंत महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को भी निष्कासित कर दिया है। 

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अजय दास ने क्या कहा ? 

अजय दास ने कहा कि मैंने 13 अक्टूबर 2015 को उज्जैन (एमपी) में अपने आश्रम में किन्नर अखाड़े की स्थापना की थी। 2016 में सिंहस्थ कुंभ में उज्जैन में मेरे नाम से जमीन आवंटित की गई थी। मैंने किन्नर अखाड़े की स्थापना की और इसका गठन किया। 

क्या है ममता कुलकर्णी के ऊपर कार्रवाई की मुख्य वजह ? 

Ajay Das
ऋषि अजय दास, संस्थापक, किन्नर अखाडा

ऋषि अजय दास ने आगे कहा कि आचार्य महामंडलेश्वर इसका संचालन कर रहे थे। अखाड़ा जिस ‘धर्म’ और ‘कर्म’ के लिए मैंने स्थापित किया यह उसपर खरा नहीं उतरा। खरा नहीं उतरा वहां तक भी ठीक था लेकिन ममता कुलकर्णी जैसे, जिस व्यक्ति के ऊपर देशद्रोह का आरोप है जिसके ऊपर देशद्रोहियों के कार्यों में लिप्त होने का आरोप है और वो सिद्ध भी हुआ है, जिसमे ममता कुलकर्णी को परेशानियां भी झेलनी पड़ी है। इसके पश्चात उन्हें अचानक लेकर के, उन्हें अभ्यागत न बना कर के वैराग्य या संन्यास न देकर के सीधे महामंडलेश्वर का जो पद दिया गया वो न्यायोचित नहीं है और न ही धर्म संगत है इसी वजह से मुझे उनके विरुद्ध कार्रवाई करना पड़ा। 

कलेक्टर बनने के लिए भी देनी पड़ती है परीक्षा 

ऋषि अजय दास ने कहा कि जिस प्रकार से इन्होने मनमानी की है, धर्माचरण नहीं किया है, आडम्बर फैलाया है और एक ऐसे व्यक्ति को आचार्य महामंडलेश्वर बना दिया जो कि किसी भी योग्य नहीं था। कलेक्टर बनने के लिए भी एग्जाम पास करना पड़ता है। बिना किसी नियम-कायदे के उनको बनाया गया इसलिए मैंने उन्हें हटाने का घोषणा किया। 
Mamta Kulkarni
ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी

महामंडलेश्वर की डिग्री आप रातों-रात नहीं ले सकते

ऋषि अजय दास ने कहा कि साधना कौन कितनी कर रहा है ये तो बाद की बात है। वो विदेश से अभी-अभी लौटी हैं। साधना उन्होंने की तो वो महंत बनती उसके बाद महामंडलेश्वर बनती। एक प्रक्रिया होती है अभ्यागत महंत और महामंडलेश्वर होने की। ये सीधे लाइन तोड़ के महामंडलेश्वर की डिग्री आप रातों-रात नहीं ले सकते हैं। ये कोई खेल नहीं चल रहा है। 
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नहीं कराया मुंडन 

ऋषि अजय दास ने कहा कि अखाडा तो था है और रहेगा। इन लोगों ने 2019 में मेरे जाने के बाद जूना के साथ पैक्ट/अनुबंध  किया। वो भी मेरी सहमति से नहीं हुआ। मेरे हस्ताक्षर को बदर कर लिया। रुद्राक्ष की माला धारण कर ली। जबकि किन्नर अखाडा की जो माला है वो वैजन्ती माला थी। वैजन्ती माला श्रृंगार की प्रतीकात्मक थी और रुद्राक्ष सन्यास की प्रतीकात्मक है। उन्होंने रुद्राक्ष धारण किया और जूना अखाड़े के साथ अपने नाम के आगे ‘गिरी’ शब्द का इस्तेमाल कर लिया तब ये संयासी हो गए। सन्यासी का कर्म ये होता है कि उसका मुंडन किया जाता है, उसे साजो-सामान से दूर रहना पड़ता है। साजो-श्रृंगार से दूर रहने के बजाए ये सारी चीज़ों में इन्वॉल्व हैं और अपने आप को तथाकाहित आचार्य महामंडलेश्वर कहते हैं। 

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