क्या है पूरा मामला
दरअसल, अली जेल में एक वकील से मुलाकात के बाद बैरक लौटते समय नोटों को गिनता हुआ सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ था। मामले की जांच में सामने आया कि वकील ने अली को 1100 रुपये नकद दिए थे। यह सब सीसीटीवी की निगरानी में डीजी जेल के स्टाफ ने पकड़ा। इसके बाद डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव की जांच में यह पुष्टि हुई कि मुलाकात के दौरान वकील ने बैरक में नकद पहुंचाया। फांसीघर स्थित हाई सिक्योरिटी सेल होगा अली का नया ठिकाना
जेल अधीक्षक की ओर से कार्रवाई करते हुए अली को सामान्य बैरक से हटाकर नैनी जेल की फांसीघर स्थित हाई सिक्योरिटी सेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह सेल अन्य सभी बैरकों से अलग और बेहद सुरक्षित मानी जाती है। यहां पर सीसीटीवी की मदद से चौबीसों घंटे निगरानी की जाती है और बंदियों की गतिविधियों पर खास ध्यान रखा जाता है।
क्या है हाई सिक्योरिटी सेस की खासियत?
हाई सिक्योरिटी सेल में छोटे साइज के 12 कमरे होते हैं जिनमें एक-एक बंदी को रखा जाता है। वहीं हाई सिक्योरिटी बैरक में लगभग 24 कमरे होते हैं, जहां तीन से चार बंदी एक कमरे में रहते हैं। इन बैरकों में आतंकवादियों, विदेशी अपराधियों और विशेष निगरानी में रखे जाने वाले बंदियों को रखा जाता है। ऐपको बता दें कि मामले में जेल के हेड वॉर्डन संजय द्विवेदी और डिप्टी जेलर कांति देवी की भूमिका संदिग्ध पाई गई, जिन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि संजय द्विवेदी ने वकील का सामान चेक करने के बाद उसे अली से मिलने की अनुमति दी थी।