धर्म संसद: निर्णय का केंद्र बिंदु
धर्म संसद महाकुंभ के दौरान आयोजित होने वाला सबसे महत्वपूर्ण मंच है, जहां देशभर के संत-महात्मा और धर्मगुरु एकत्र होकर धर्म से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं। इस बार की धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन को लेकर प्रस्ताव रखा जाएगा। इसमें देश के 13 प्रमुख अखाड़ों और सैकड़ों संतों की उपस्थिति होगी।
सनातन बोर्ड का उद्देश्य
सनातन बोर्ड के गठन का उद्देश्य सनातन धर्म के संरक्षण, प्रचार-प्रसार, और आध्यात्मिक चेतना को बढ़ावा देना है। इसके मुख्य कार्य: 1. धार्मिक स्थलों का संरक्षण: प्राचीन मंदिरों और तीर्थ स्थलों की सुरक्षा और संवर्धन। 2. आध्यात्मिक शिक्षा: सनातन धर्म के ग्रंथों और परंपराओं की शिक्षा के लिए संस्थानों की स्थापना। 3. युवाओं का जुड़ाव: युवाओं को धर्म और संस्कृति से जोड़ने के लिए आधुनिक माध्यमों का उपयोग।
4. सामाजिक समरसता: हिंदू धर्म के विभिन्न पंथों और परंपराओं को एकजुट करना। 5. वैश्विक पहचान: सनातन धर्म के सिद्धांतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना।
आज का सत्र: क्या होगा खास?
• धर्म संसद का सत्र सुबह से शुरू होकर दोपहर तक चलेगा।
• सभी अखाड़ों और धर्मगुरुओं के बीच सनातन बोर्ड के गठन पर चर्चा होगी। • सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने की संभावना है। • सनातन बोर्ड के ढांचे और कार्यप्रणाली पर भी विचार किया जाएगा।
साधु-संतों की प्रतिक्रिया
महाकुंभ में आए प्रमुख संत और धर्मगुरु इस कदम को लेकर उत्साहित हैं। उनका मानना है कि सनातन बोर्ड का गठन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी आवश्यक है। संत समाज का कहना है कि यह बोर्ड सनातन धर्म को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम करेगा। प्रशासन की तैयारी
धर्म संसद के लिए संगम क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धालुओं और संतों की सुविधा के लिए प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। संगम क्षेत्र में निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों और डिजिटल सूचना प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। धर्म संसद का महत्व धर्म संसद के निर्णय न केवल धार्मिक जगत में बल्कि समाज के हर वर्ग पर गहरा प्रभाव डालते हैं। सनातन बोर्ड के गठन से सनातन धर्म के प्रचार और संरक्षण में नई ऊर्जा आएगी।
आज का फैसला: भविष्य की दिशा
आज का यह ऐतिहासिक निर्णय सनातन धर्म को संगठित और सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। धर्म संसद में लिए गए निर्णय न केवल भारतीय समाज बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सनातन धर्म की पहचान को मजबूती देंगे। महाकुंभ 2025 का यह दिन इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने जा रहा है। धर्म संसद के इस निर्णय का असर आने वाले समय में व्यापक रूप से देखा जाएगा।