स्वामी यतींद्रानंद गिरि का मिला आशीर्वाद
ANI से बातचीत में सिद्धार्थ ने कहा कि उन्होंने शादी को “सबसे प्रामाणिक तरीके” से करने का निर्णय लिया था। प्रयागराज इस समय विश्व में सबसे अच्छी जगह है। हम महाराज जी (स्वामी यतींद्रानंद गिरि) से मिले। उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ और हम-दोनों विवाह के बंधन में बंध गए।पेनेलोप ने बताया कि वह कभी किसी भारतीय शादी में शामिल नहीं हुई थी, लेकिन दुल्हन होने के नाते उन्होंने खुद एक भारतीय शादी का अनुभव किया।
मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाएंगी पेनेलोप
पेनेलोप ने आगे बताया, “मैं पहले बौद्ध धर्म से जुड़ी थीं। मैंने महसूस किया कि सनातन धर्म ही मेरे लिए खुशहाल जीवन जीने और जन्म-पुनर्जन्म के इस चक्र से परे जाने का एक तरीका है। मेरे जीवन में जो कुछ भी हुआ, उसके दुख का समाधान ढूंढ रही थी। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर मैं संगम स्नान करूंगी। मुझे बहुत खुशी है कि मैं महाकुंभ की शुरुआत से यहां हूं, और मेरी मां भी साथ में हैं। स्वामी यतीन्द्रानंद की शिष्या रही पेनेलोप
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि ने बताया कि दंपती पिछले कुछ वर्षों से सनातन धर्म का अनुयायी हैं। 26 जनवरी को महाकुंभ के शिविर में हमने भारतीय परंपरा से शादी समारोह किया।