30 मई को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं और कमीशनखोरी पर कड़ा ऐतराज जताते हुए सीधे तौर पर अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद महानिदेशालय तक हड़कंप मच गया। कोर्ट के निर्देशों का तत्काल असर हुआ और शुक्रवार दोपहर मेडिकल कॉलेज की कार्यकारी प्राचार्य डॉ. वत्सला मिश्रा को ईमेल से निलंबन आदेश भेजा गया।
जांच में पाया गया कि उप अधीक्षक गौतम त्रिपाठी की निगरानी में कार्यों में गंभीर लापरवाही हुई, वहीं वार्ड की सिस्टर इंचार्ज रंजना लुईस की मौजूदगी में मरीजों के बेड पर गंदी और फटी हुई चादरें मिलीं। नर्स मनोज कुमार की संविदा समाप्त करने की संस्तुति भी की गई, क्योंकि उनके ड्यूटी समय में मरीजों की देखभाल में कोताही पाई गई।
डॉ. वत्सला मिश्रा ने स्पष्ट किया कि महानिदेशालय से मिले आदेश का सख्ती से पालन होगा और किसी भी प्रकार की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट की इस सख्ती ने न सिर्फ अस्पताल प्रशासन बल्कि पूरे चिकित्सा विभाग को झकझोर कर रख दिया है।