इस विषय में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. अजीत चौरसिया कहते हैं, “रमज़ान में शरीर सीमित मात्रा में भोजन और पानी की आदत डाल लेता है। ऐसे में ईद के दिन अचानक अधिक मात्रा में और मसालेदार खाना लेने से ब्लड शुगर, बीपी और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। विशेष रूप से बुज़ुर्गों, डायबिटीज़ और हाई बीपी के मरीज़ों को संयम से भोजन करना चाहिए। साथ ही तली-भुनी चीजें और ठंडे पेय पदार्थों का अधिक सेवन गैस, अपच, कब्ज और एसिडिटी जैसी परेशानियाँ भी बढ़ा सकता है। शरीर को राहत देने के लिए सुपाच्य, हल्का और घर का बना भोजन ही सबसे बेहतर होता है।”
ईद पर इन बातों का रखें ध्यान:
धीरे और सीमित मात्रा में भोजन करें: भूख ज़्यादा लग सकती है, लेकिन संयम ज़रूरी है। तेल-मसालों से परहेज़ करें: तली हुई और मसालेदार चीज़ें सीमित मात्रा में लें। मीठा संतुलन में खाएं: सेवइयां और शीर खुरमा का आनंद लें, मगर माप में। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं: शरीर को हाइड्रेटेड रखें। भोजन के बाद हल्की सैर करें: पाचन के लिए यह लाभकारी है।
पुराने रोगियों के लिए खास सलाह: अपनी बीमारी के अनुसार डॉक्टर की सलाह से ही भोजन करें। ईद सिर्फ दावतों का नहीं, बल्कि आपसी प्रेम, भाईचारे और एक नई ऊर्जा का पर्व है। यह ज़रूरी है कि हम इस दिन स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी ध्यान रखें। प्रो. डॉ. अजीत चौरसिया जैसे विशेषज्ञों की सलाह मानते हुए यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतें, तो ईद का यह उत्सव न सिर्फ आत्मा को, बल्कि शरीर को भी सुखद अनुभव दे सकता है।