यह भी पढ़ें:
CG Road Accident: सड़क दुर्घटना में व्यायाता की मौत, मामले की फिर से होगी जांच.. केंद्र सरकार की सड़क दुर्घटना नकदी रहित उपचार स्कीम-2025 प्रदेश में 23 मई से कागजों पर लागू हो गया है। स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर योजना लागू करने की जानकारी दी थी। पत्रिका ने आंबेडकर अस्पताल समेत राजधानी के बड़े निजी अस्पतालों से पूछा कि डेढ़ लाख तक
कैशलेस इलाज का फायदा कितने मरीजों को मिला है। सभी ने कहा कि योजना लागू तो हो गई है, लेकिन क्या करना है, अभी स्पष्ट जानकारी नहीं है। हां, कुछ दिन पहले वीसी के माध्यम से योजना के बारे में जानकारी दी गई। कुछ कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी गई है। यानी अभी योजना को मूर्तरूप लेने में कुछ समय तो लगेगा। तब तक घायल मरीजों को आयुष्मान से इलाज कराना होगा। जिनके पास आयुष्मान नहीं है, वे कैश से या हैल्थ इंश्योरेंस से इलाज करवा सकेंगे।
न्यूरो सर्जन सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नहीं डेढ़-डेढ़ लाख के हिसाब से एक परिवार के तीन सदस्यों को साढ़े 4 लाख रुपए तक का फ्री इलाज किया जाएगा। आयुष्मान भारत योजना में प्रदेश के सभी पंजीकृत सरकारी व निजी अस्पतालों में इलाज किया जाएगा। प्रदेश में करीब एक हजार अस्पताल हैं, जो आयुष्मान योजना में पंजीकृत हैं। हालांकि इनमेें सड़क दुर्घटना में गंभीर मरीजों के इलाज के लायक अस्पतालों की संख्या कम है। दरअसल सड़क दुर्घटना में हेड इंजुरी से लेकर हड्डी फ्रैक्चर व मल्टीपल इंजुरी के मरीज आते हैं। ऐसे में ये सुविधा बड़े व मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों में ही मिल सकेगी।
सड़क दुघर्टनाओं में सबसे ज्यादा मामले सिर में चोट व हड्डी में फ्रैक्चर के आते हैं। ऐसे मरीजों के इलाज के लिए न्यूरो सर्जन व ऑर्थोपीडिक सर्जन की जरूरत पड़ती है। कई बार प्लास्टिक सर्जन की भी जरूरत पड़ती है। हैरत की बात ये है कि 10 में 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ही न्यूरो सर्जन हैं। ये डीकेएस अस्पताल, सिम्स बिलासपुर व जगदलपुर में सेवाएं दे रहे हैं। कैशलेस इलाज तभी कारगर होगा, जब घायलों को सुविधायुक्त अस्पतालों में भर्ती कर तत्काल इलाज किया जाएगा।
यहां से वहां रेफर, मरीजों की जान को होगा खतरा कैशलेस इलाज के लिए सभी सरकारी व निजी अस्पतालों के कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। साथ आईडी व पासवर्ड भी क्रिएट किया जा रहा है। ताकि मरीज आने पर तत्काल इलाज शुरू हो सके।
डॉ. मिथलेश चौधरी, सीएमएचओ रायपुर जिला अगर किसी की दुर्घटना होती है और उसे नजदीकी आयुष्मान संबद्ध हास्पिटल में ले जाया जाता है, लेकिन वहां भी इलाज के संसाधन नहीं हैं या स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं हैं, तो वह हास्पिटल तुरंत दूसरे अस्पताल में केस रेफर करेगा। इसे पोर्टल में अपडेट किया जाएगा ताकि विशेषज्ञ डॉक्टर वाले अस्पताल में तुरंत इलाज शुरू हो सके। बड़ा सवाल ये है कि हेड इंजुरी वाले मरीजों के लिए गोल्डन ऑवर डेढ़ से दो घंटे का होता है। एक से दूसरे अस्पताल मरीज को रेफर करते रहे तो जान का खतरा हो सकता है। बेहतर है कि मरीज को सर्वसुविधा संपन्न अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जाए।