CG News: पत्रिका की खबर का असर
खेलवार स्वास्थ्य विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए थे इसलिए दवा कॉर्पोरेशन ने हैल्थ डायरेक्टर को पत्र लिखकर उन्हें सस्पेंड करने कहा है। खून पतला करने वाले हेपरिन इंजेक्शन के घटिया निकलने का खुलासा
पत्रिका ने किया था। 8 जनवरी के अंक में ओटी टेबल पर सर्जरी के लिए तैयार मरीज का खून नहीं हुआ पतला शीर्षक से पहली खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद इंजेक्शन से जुड़े अन्य खबरें प्रकाशित की।
पत्रिका की खबर के बाद ही सीजीएमएससी ने घटिया हेपरिन इंजेक्शन को अस्पतालों से वापस मंगवाया। साथ ही इसके उपयोग पर पाबंदी लगाई गई। साथ ही डिवाइन लेबोरेटरी वड़ोदरा, पंचकूला के दोनों लैब व खेलवार को नोटिस भेजा गया। डिवाइन कंपनी ने घटिया इंजेक्शन का लाट वापस मंगाने पर भी सहमति जताई।
घटिया क्वालिटी के इंजेक्शन
कंपनी को ब्लैक लिस्टेड क्यों नहीं किया गया, के जवाब में अधिकारियों का कहना है कि हिपेरिन इंजेक्शन 5000 आईयू-एमएल के लिए अनुबंध पहले ही खत्म हो चुका है। 1000 आईयूू-एमएल के लिए डिवाइन लेबाेरेटरी के साथ रेट कांट्रेक्ट खत्म कर दिया है। यह निर्णय घटिया क्वालिटी के इंजेक्शन सप्लाई के कारण लिया गया है। खेलवार को उच्चाधिकारियों को पूर्ण जानकारी न देने तथा उच्चाधिकारियों से अनुमोदन नहीं लेने के कारण कार्रवाई की गई है। वे सीएचसी गोबरा नवापारा में फार्मासिस्ट ग्रेड-2 के पद पर कार्यरत हैं।
दो बैच निकले घटिया, मतलब मरीजों की जान के साथ खिलवाड़
डिवाइन लेबोरेटरी में बने हेपरिन इंजेक्शन बैच नंबर डीपी 4111 तथा बैच नंबर डीपी 2143, दोनों ही घटिया निकल चुका है।दोनों इंजेक्शन ने मरीजों पर कोई असर नहीं किया और डॉक्टरों को बाहर से इंजेक्शन लगाकर पैर की ब्लॉकेज नस का ऑपरेशन किया। इंजेक्शन घटिया होने की शिकायत कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी विभाग ने अस्पताल प्रबंधन से की थी इसके बाद प्रबंधन ने सीजीएमएससी को शिकायत की। नवंबर में भेजे पत्र पर सीजीएमएससी ने कोई कार्रवाई नहीं। जब पत्रिका में खबर प्रकाशित हुई, तब कॉर्पोरेशन के अधिकारी जागे और आनन-फानन में दोनों बैच के इंजेक्शन वेयर हाउस में वापस मंगवाए गए।
एंजियोप्लास्टी के दौरान कैथेटर में जम रहा था क्लॉट, ये खतरनाक स्थिति
कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी ने अस्पताल अधीक्षक को बैच नंबर डीपी 2143 वाले हेपरिन इंजेक्शन के बारे में लिखा था कि एंजियोप्लास्टी के दौरान कैथेटर में खून का थक्का जम रहा है। खून के थक्के जल्दी बन रहे हैं। ऐसे में इससे मरीजों की जान को खतरा है। इंजेक्शन की क्वालिटी घटिया है। एंजियोप्लास्टी हो या, ओपन हार्ट व वेस्कुलर सर्जरी, मरीजों का खून पतला करना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर मरीज की जान जा सकती है। हार्ट अटैक आने के बाद भी इस इंजेक्शन को मरीजों को लगाया जाता है, ताकि मरीजों को राहत मिले। डॉक्टरों का कहना है कि खून पतला करने वाली मशीन जहां नहीं है, वहां इंजेक्शन को मरीजों को लगाया गया।
रायपुर व बलौदाबाजार जिले में हुई थी सप्लाई
CG News: इंजेक्शन की सप्लाई आंबेडकर अस्पताल के अलावा
रायपुर व बलौदाबाजार जिले के जिला अस्पतालों, सीएचसी व शहरी हैल्थ सेंटरों में हुआ था। यानी इंजेक्शन उन अस्पतालों में खप चुका था। दो अलग-अलग बैच के हेपरिन इंजेक्शन निकलने के बाद आशंका है कि कहीं दवा कंपनी ने एक ही इंजेक्शन बनाकर केवल रैपर तो नहीं बदल दिया। इसकी आशंका इसलिए भी है, क्योंकि इंजेक्शन घटिया निकल रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार दो बैच का इंजेक्शन घटिया निकलना गंभीर मामला है।
पद्मिनी भोई साहू, एमडी सीजीएमएससी: हेपरिन इंजेक्शन के घटिया निकलने पर डिवाइन लेबोरेटरी व पंचकूला के दाेनों लैब से रेट कांट्रेक्ट खत्म कर दिया गया है। डिप्टी मैनेजर क्वालिटी कंट्रोल प्रतिनियुक्ति पर था इसलिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर सस्पेंड करने की अनुशंसा की गई है। दवाओं व इंजेक्शन की क्वालिटी से काेई समझौता नहीं किया जाएगा।