CG News: मरीज हो सकता था ब्रेन डेड का शिकार
विभाग के एचओडी डॉ. कृष्णकांत साहू व उनकी टीम ने यह ऑपरेशन किया। उन्होंने बताया कि बालाघाट निवासी मरीज को पिछले दो साल से बार-बार लकवा, चक्कर, एक आंख से धुंधला दिखना और सुनाई न देने जैसी समस्याएं हो रहीं थीं। प्रारंभिक जांच के बाद कैरोटिड सीटी एंजियोग्राफी कराई गई, जिसमें पता चला कि मरीज की दाहिनी कैरोटिड आर्टरी में 95 फीसदी से अधिक रुकावट थी। इससे मस्तिष्क को ब्लड की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो रही थी।
डॉ. साहू ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान यदि कोई भी प्लाक का टुकड़ा या हवा का बुलबुला मस्तिष्क में चला जाता तो मरीज ब्रेन डेड हो सकता था। इसके बावजूद मरीज एवं परिजनों ने ऑपरेशन में जोखिम होने के बावजूद सहमति दी। कैरोटिड शंट नामक विशेष उपकरण का उपयोग किया: मरीज की सर्जरी के दौरान कैरोटिड शंट नामक विशेष उपकरण का उपयोग किया गया ताकि ब्रेन में ब्लड की सप्लाई लगातार बनी रहे।
ब्लॉकेज हटाने के बाद नस को बोवाइन पेरीकार्डियम पैच से मरमत कर पुन: सामान्य किया गया। सर्जरी पूरी तरह सफल रही और मरीज अब स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होने की स्थिति में है। गले की नस के ब्लॉकेज खोलने की अन्य विधि कैरोटिड आर्टरी स्टेंटिंग है, पर सर्जरी जिसको कैरोटिड एंडआर्टरेक्टॉमी कहा जाता है, वह सुरक्षित होता है।
क्या होती है कैरोटिड आर्टरी और क्यों होता है ब्लॉकेज
CG News: कैरोटिड आर्टरी वह मुख्य धमनी होती है, जो गले से होते हुए मस्तिष्क तक रक्त पहुंचाती है। इसमें रुकावट का मुख्य कारण धूम्रपान, तंबाकू सेवन, अनियंत्रित डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और
कोलेस्ट्रॉल का जमा होना है। 50 फीसदी तक ब्लॉकेज होने पर आमतौर पर लक्षण स्पष्ट नहीं होते, परंतु 70-80 फीसदी से अधिक ब्लॉकेज पर ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए) या छोटे स्ट्रोक जैसे लक्षण सामने आते हैं।
जैसे अचानक एक आंख से दिखना बंद होना, मुंह टेढ़ा होना, बोलने में दिक्कत या संतुलन बिगड़ना। धूम्रपान और तंबाकू छोड़कर, ब्लड प्रेशर और शुगर नियंत्रित रखकर, संतुलित आहार व नियमित व्यायाम के माध्यम से इसे रोका जा सकता है। जिन मरीजों को कोरोनरी आर्टरी डिजीज होती है, उनमें 8-10 फीसदी मामलों में कैरोटिड आर्टरी में भी ब्लॉकेज होता है।