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CG News: तीन करोड़ के चश्मे के टेंडर में NHM को ‘दृष्टि दोष’ पत्रिका का बड़ा खुलासा

CG News: ये चश्मे पास की नजर कमजोर यानी दूर दृष्टि दोष (हाइपरोपिया) वाले लोगों को मुफ्त में बांटे जाएंगे। इस चश्मे को प्रेसबायोपिक भी कहा जाता है।

रायपुरApr 01, 2025 / 12:37 pm

चंदू निर्मलकर

CG News
पीलूराम साहू. एनएचएम ने आनन-फानन में वित्तीय वर्ष खत्म होने के ठीक पहले 3 करोड़ रुपए खपाने (CG News) के लिए चश्मा का टेंडर कर दिया है। ये चश्मे पास की नजर कमजोर यानी दूर दृष्टि दोष (हाइपरोपिया) वाले लोगों को मुफ्त में बांटे जाएंगे। इस चश्मे को प्रेसबायोपिक भी कहा जाता है। टेंडर में अधिकतम रेट 350 रुपए तय किया गया है, जबकि बाजार में 100 रुपए में अच्छी क्वॉलिटी का रेडीमेड चश्मा मिल रहा है। जानकारों ने कोट रेट पर भी सवाल उठाए हैं।

CG News: लोगों को बांटे जाएंगे प्रेसबायोपिक चश्मे

प्रदेश में पास की नजर कमजोर वाले करीब 1.25 लाख से ज्यादा लोगों को प्रेसबायोपिक चश्मे बांटे जाएंगे। मेडिकल कॉलेज समेत जिला अस्पतालों व विभिन्न कैंप में लोगों की आंखों की जांच की गई थी। 26 मार्च को टेक्नीकल बिड खुलना था। 27 मार्च को बलरामपुर सीएमएचओ ने 3875 नग चश्मे की मांग राज्य कार्यक्रम अधिकारी यानी अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अफसर को भेजी है।
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ज्यादातर जिलों में औसतन 3500 से 4000 चश्मे बांटे जाएंगे। इस हिसाब से टेंडर किया गया है। चूंकि ये टेंडर पहले हो जाना था, लेकिन 3 करोड़ लैप्स न हो करके अधिकारियों ने जल्दबाजी में टेंडर कॉल किया है। अब चूंकि टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो यह राशि लैप्स नहीं होगी। जानकारों के अनुसार अनापशनाप रेट पर वर्कआर्डर जारी किया जा सकता है।

चश्मा व लेंस से दूर होता है दृष्टि दोष

दूर दृष्टि दोष (हाइपरोपिया) में पास की चीज़ें धुंधली दिखती हैं। यह समस्या आंखों के आकार से जुड़ी होती है। इसे ठीक करने के लिए, चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस का उपयोग किया जाता है। यह समस्या प्राय: 40 साल की उम्र के बाद होती है, जिसे चालीसा भी कहा जाता है। इसके लक्षणों में पास की चीजें धुंधली दिखना, दूर की चीजें साफ दिखती है। इसका प्रमुख कारण आंख का गोलक छोटा होना, आंख के क्रिस्टलीय लेंस का पतन होना, आंख के क्रिस्टलीय लेंस की फोकस दूरी ज़्यादा होना, अभिनेत्र लेंस की अत्यधिक वक्रता, नेत्रगोलक का प्रसार प्रमुख कारण है।

मामले में अफसर का नो रिस्पांस

इस मामले में जब अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम की स्टेट नोडल अफसर डॉ. निधि अत्रिवाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया।

पहले टेंडर जिलों से, पहली बार राज्य स्तर पर

पैसे खपाने के लिए पहली बार राज्य स्तरीय टेंडर जारी किया गया है। जबकि पहले जिला स्तर पर सीएमएचओ ये टेंडर करते थे। बताया जाता है कि पहले भी चश्मा खरीदी में गड़बड़ी हुई है। बाजार में 100 रुपए में मिलने वाले चश्मे को 250 से 275 रुपए प्रति नग के हिसाब से खरीदा गया है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब एक चश्मा 100 रुपए में मिलता है तो सवा लाख नग चश्मा तो 50 रुपए के हिसाब से या इससे कम में मिलेगा।
इसके बावजूद अधिकारी ज्यादा से ज्यादा रेट पर खरीद रहे हैं। इस बार 350 रुपए अधिकतम रेट तय किया गया है तो हो सकता है कि कोई वेंडर 349 रुपए कोट कर दे।

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