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कार्यों का निर्धारण कलेक्टर करेंगे जिला निर्माण समिति (District Construction Committee) का कार्य क्षेत्र संपूर्ण राजस्व जिला होगा। कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति वर्तमान नियमों के तहत् सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी की जाएगी। जिला निर्माण समिति के माध्यम से किए जाने वाले कार्यों का निर्धारण जिला कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। जिन कार्यों को 3 बार ऑनलाइन निविदा (Online Tender) आमंत्रित करने के बाद भी, इच्छुक ठेकेदार उपलब्ध नहीं होने के कारण पूरा कराया जाना संभव न हो, ऐसे अत्यावश्यक तथा अपरिहार्य निर्माण कार्यों को जिला निर्माण समिति के माध्यम से कराया जाएगा। जिले के जो ब्लॉक गहन रूप से नक्सल प्रभावित नहीं हैं, उनमें जिला निर्माण समिति के माध्यम से यथासंभव कार्य नहीं कराने के निर्देश हैं। स्थानीय निधि जैसे कि डीएमएफ/ सीएसआर इत्यादि मद से कराए जाने वाले कार्यों में भी सर्वप्रथम कार्य एजेंसी जैसे कि पीडब्लूडी/ आरईएस/ पीएमजीएसवाई इत्यादि को ही क्रियान्वयन एजेंसी नियुक्त किया चाहिए, ना कि जिला निर्माण एजेंसी को। इन एजेंसी के द्वारा अगर कार्य निष्पादन नहीं हो पाता है, लगातार 3 बार निविदा में कोई भाग नहीं लेता है, तब वैसी परिस्थिति में ही कार्य स्थानीय निधि से जो कराए जाने हैं, में जिला निर्माण एजेंसी को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया जा सकता है।
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10 करोड़ तक का कार्य कराया जा सकेगा जिला निर्माण समिति के माध्यम से 10 करोड़ रुपए तक का कार्य कराया जा सकेगा। अपरिहार्य तथा अत्यावश्यक निर्माण कार्यों को जिला निर्माण समिति से कराए जाने के संबंध में ई-टेंडर (e-tender) द्वारा निविदा आमंत्रित की जाएगी। जिला निर्माण समिति द्वारा एक कार्य को निर्माण की सुविधा की दृष्टि से दो अथवा दो से अधिक भागों में विभाजित किया जा सकेगा, जैसे-पुल-पुलियों के कार्य सहित सड़क निर्माण का कार्य स्वीकृत हो, तो सड़क कार्य के लिए अलग ठेकेदार तथा पुल-पुलियों के लिए अलग ठेकेदार नियुक्त करने की छूट होगी। सड़क (Road) की लंबाई अधिक होने अथवा पुल-पुलियों की संख्या अधिक होने की स्थिति में सड़क को दो अथवा दो से अधिक भागों में बांटने तथा अलग-अलग पुल-पुलियों के लिए भी अलग-अलग एजेंसी नियुक्त करने की छूट होगी, किन्तु एक कार्य को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित करते समय समिति द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि समग्र रूप से कार्य की गुणवत्ता एकजैसी रहे तथा अलग-अलग टुकड़ों में कराए गए कार्यों के लागत मूल्य में समानता रहे। यदि कार्य को अलग-अलग टुकड़ों में कराया जाता है तो यह ध्यान रखा जाए कि विगत तीन वर्षों में जिले में विभिन्न विभागों के द्वारा कराए गए समान प्रवृत्ति के कार्य की दर से अधिक नहीं हो।
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नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास को मिलेगी गति कार्यों का निरीक्षण, पर्यवेक्षण तथा मूल्यांकन का कार्य लोक निर्माण विभाग या कलेक्टर (Collector) द्वारा निर्धारित किसी सक्षम तकनीकी अधिकारी के द्वारा किया जाएगा। निविदा स्वीकार करने वाला प्राधिकारी निविदाओं को स्वीकार करने से पहले दरों की उचितता के बारे में खुद को संतुष्ट करेगा। दरों की उचितता का आकलन मुख्य रूप से उचित दरों के आधार पर किया जाएगा, निविदा स्वीकार करने वाला प्राधिकारी निविदाओं पर निर्णय लेते समय पिछले तीन महीनों की अवधि के भीतर बुलाए गए कार्यों की समान प्रकृति की निविदाओं की दरों का उल्लेख कर सकता है। समान कार्यों का अर्थ है प्रकृति, मात्रा, विनिर्देशों और स्थान में समान कार्य, जो बहुत करीब है। दरों की उचितता की जांच के लिए औचित्य कथन तैयार किया जाएगा। इस विधि में श्रम, सामग्री, माल ढुलाई आदि की बाजार दरों को ध्यान में रखते हुए दरों का विस्तृत विश्लेषण तैयार करना शामिल है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CM Vishnu Deo Sai) के नेतृत्व में यह पहल न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाएगी, बल्कि नक्सल (Naxal) प्रभावित क्षेत्रों में विकास को गति देने के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार भी करेगी। राज्य शासन के विकास, विश्वास और पारदर्शिता के मूल सिद्धांतों को सशक्त करने की दिशा में सीएम साय की यह रणनीति एक निर्णायक कदम है।