राजस्व रेकॉर्ड में वह भूमि आज भी कृषि या सरकारी है। बोर्ड के नाम पर भी नहीं हुआ है। इसके चलते इन भूमि पर बने आवास फ्री होल्ड नहीं हो पा रहे हैं। इससे कई लोग प्रभावित हैं। वे हाउसिंग बोर्ड में आवेदन कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी फ्री होल्ड नहीं कर पा रहे हैं। यही हाल एनआरडीए, आरडीए का भी है।
CG Property News: मुआवजे के लिए परेशान हैं पीड़ित
राजस्व विभाग में अटका मामला: शहर में हाउसिंग बोर्ड ही नहीं आरडीए और एनआरडीए की कई आवासीय परियोजनाएं कृषि, सरकारी व निजी भूमि पर विकसित हुई हैं। आवास निर्माण के समय इन जमीनों का डायवर्सन राजस्व विभाग ने नहीं किया और न ही हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने पहल की। इसके चलते मामला अटका हुआ है।
रायपुर. राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में कई खामियां उजागर हो रही हैं। हैरानी ये कि पटवारी, आरआई की गलती सुधारने वाला कोई नहीं है। कानून भी ऐसा कि एक बार गलती से एक टुकड़े का अवार्ड पारित हो जाने पर पूरे रकबा को ही ब्लॉक कर दिया जाता है।
फिर वह जमीन अधिग्रहित हई हो या नहीं, उसका न तो रेकॉर्ड सुधार हो रहा है और न ही ऐसे पीड़ितों को न्याय मिल रहा है। 13 साल बीत गए। आज तक
रायपुर-बिलासपुर रोड के ग्राम सांकरा-धरसींवा के पास और लाभांडी क्षेत्र के पीड़ित भटक रहे हैं। ऐसी परेशानी को लेकर दलदल सिवनी मोवा में रहने वाली 70 वर्षीया ज्योति आहूजा पति परमानंद आहूजा रिकॉर्ड दुरुस्तीकरण की गुहार लगाते हुए चक्कर काटने को मजबूर हैं।
रायपुर ही नहीं प्रदेशभर में असर
फ्री होल्ड नहीं होने का मामला रायपुर का ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में यही हो रहा है। वर्तमान में 3 हजार से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। वे अपने मकानों को फ्री होल्ड नहीं करवा रहे हैं। प्रयोजन नहीं बदला इसलिए दिक्कत
रायपुर अपर कलेक्टर कीर्तिमान सिंह राठौर ने कहा की कई पुरानी कॉलोनियां हैं, जिसकी भूमि का प्रयोजन आज तक नहीं बदला है। इसलिए फ्री होल्ड में दिक्कत आ रही है।
हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों से चर्चा हुई है। जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा। राजस्व रेकॉर्ड में भूमि का प्रयोजन सुधारा जाएगा।
जमीन अधिग्रहण से बाहर फिर भी अवार्ड पारित, मुआवजा नहीं; रकबा भी ब्लॉक
ज्योति ने कलेक्टर गौरव सिंह को दस्तावेज सौंपकर बताया कि रायपुर-बिलासपुर रोड़ से 600 फीट दूर निजी स्वामित्व की उसकी जमीन है, लेकिन पटवारी और आरआई के गलत प्रतिवेदन का खमियाजा वह पिछले 13 सालों से भुगत रही है। उसकी जमीन न तो अधिग्रहण क्षेत्र के दायरे में है और न ही मुआवजा मिला है। फिर भी 7000 वर्गफीट का पूरा रकबा ब्लॉक कर दिया गया। उसका उपयोग नहीं कर पा रही है, जिसे मुक्त कराया जाए, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं है। हैरानी ये कि हाईकोर्ट और आर्बिट्रेशन में फैसला होने के बावजूद लाभांडी क्षेत्र के पीड़ित मंशाराम मेंघानी को मुआवजा भुगतान नहीं किया गया।
खमियाजा 13 साल से भुगत रही
राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में कई तरह शिकायतें आ रही हैं। दर्जनों मामले आर्बिट्रेशन में चल रहे हैं। जो रकबा गलती से अधिग्रहण में अंकित हो गया, उसका रेकॉर्ड संधारण होना चाहिए। परंतु अवार्ड के बाद उसे हटाने में ज्यादा जटिल प्रक्रिया है। -महादेव कांवरे, संभागायुक्त, रायपुर