कुछ भूमाफियाओं ने मृत व्यक्तियों के नाम से फर्जी पॉवर ऑफ अटॉर्नी बना लिया। फिर उसकी मदद से बुजुर्ग महिला की जमीन 2 करोड़ रुपए में बेच दी। इसकी रजिस्ट्री भी हो गई। खरीदारों ने नामांतरण की प्रक्रिया शुरू की, तब पीड़ित महिला का पता चला। इसकी शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया है।
हक त्याग करते हुए रजिस्ट्री भी करवा दी
पुलिस के मुताबिक 64 वर्षीया पुष्पा माखीजा के पति शीतल माखीजा ने कमल विहार चौक डूमरतराई के पास वर्ष 1990 में 4 एकड़ जमीन खरीदी थी। यह जमीन उन्होंने अपने परिचित के जयराम पेशवानी, पवन पेशवानी, राजल दास, पवन बघेल, चंदूलाल साहू, दिलीप विभार, जवाहर लाल, शोभराज और अशोक कुमार के नाम से खरीदा थी। इनमें से 2 एकड़ जमीन को बेच दिया गया। इसके बाद सभी ने 2 एकड़ जमीन पुष्पा माखीजा के नाम पर हक त्याग करते हुए
रजिस्ट्री करवा दी, लेकिन नामांतरण नहीं हो पाया। इस बीच राजल दास, शोभराज और अशोक कुमार की मृत्यु हो गई।
फरवरी 2024 में जोरापारा निवासी प्रशांत शर्मा ने फर्जी आम मुतियारनामा अपने नाम पर बनवाया। इसमें उन सभी 9 लोगों की सहमति और आधार कार्ड नंबर लगाए गए, जिन्होंने पुष्पा माखीजा के लिए जमीन का हक त्यागा था। इस आम मुतियारनामा के आधार पर प्रशांत ने टाटीबंध निवासी गजानंद मेश्राम को 22 फरवरी 2024 को जमीन बेच दी। इसके बाद गजानंद ने जमीन को दो करोड़ रुपए में महेश गोयल और विशाल शर्मा को बेच दिया।
पहले ही हो चुकी थी मौत, फिर नोटरी कैसे हुई?
पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल है कि आरोपी प्रशांत ने फरवरी 2024 में अपने नाम पर आम मुतियारनामा बनाया, लेकिन मुतियारनामा देने वालों में से शोभराज की 7 अगस्त 2008, अशोक कुमार की 12 मई 2023 को और राजलदास की 16 जनवरी 2024 को मृत्यु हो चुकी थी। इसके बावजूद पाटन तहसील में फरवरी 2024 में आम मुतियारनामा की नोटरी व अन्य कार्रवाई कैसे पूरी हो गई़? बताया जाता है कि प्रशांत और अन्य आरोपियों ने उनके स्थान पर किसी दूसरे को खड़ा किया। बाद में गजानंद ने इस जमीन को 29 जुलाई 2024 को महेश और विशाल को बेच दिया। मामले का पता चलने पर पुष्पा ने माना थाने में शिकायत की। पुलिस ने आरोपी प्रशांत शर्मा और उसके सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश व अन्य धाराओं में अपराध दर्ज किया है। आरोपियों की गिरतारी नहीं हो पाई है।