NEET Exam: पत्रिका ने किया सम्मान
ऋषभ की सफलता का सबसे बड़ा राज मोबाइल से दूरी बनाना है। ऋषभ के जज्बे और हौसले को इग्नाइटर्स 2025 कार्यक्रम में पत्रिका ने सम्मान किया। ऋषभ ने बताया कि उसने हाईस्कूल के बाद ही मोबाइल से दूरी बना ली। रेग्युलर और नोट्स बनाकर पढ़ाई की, जिससे उसे सफलता मिली। उसने बताया कि वह डॉक्टर बनना चाहता है। लेकिन, उसने 11वीं से ही नीट से साथ जेईई की भी तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए उसने 12वीं में मैथ्स को ऑप्शन विषय के रूप में चुना, दोनों विषयों पर उसकी पकड़ अच्छी थी। इसीलिए नीट और जेईई दोनों परीक्षाएं दी और सफलता मिली। प्रतिदिन 12-13 घंटे पढ़ाई
ऋषभ का कहना है कि उसे नियमित अभ्यास और पढ़ाई से सफलता मिली। नियमित रूप से 8-9 घंटे पढ़ाई करता था। टीचर के सुझाव को फॉलो करता रहा। फिर बोर्ड परीक्षाएं खत्म होने बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए 12-13 घंटे पढ़ाई की। डीमोटीवेेट नहीं हुआ बस पढ़ता रहता था। एनसीईआरटी की किताबों और मॉक टेस्ट का उसकी सफलता में बड़ा योगदान है। गणित बचपन से ही अच्छा लगता था। इसलिए वैकल्पिक विषय के रूप में मैथ्स चुना। नीट और जेईई की साथ में तैयारी कर परीक्षा दी। दोनों सफलता मिली। जेईई में 99 फीसदी से ज्यादा अंक मिले। वहीं, नीट में 2066 रैंकिंग प्राप्त की है।
डॉक्टर बनूंगा
ऋषभ ने कहा मुझे डॉक्टर बनना है। लोगों का जीवन बचाने से बड़ा कुछ नहीं है। वह एस में प्रवेश लेने के लिए ट्राई कर रहा है। गोरखपुर एस में रैंकिंग के हिसाब से प्रवेश मिलने से चांस हैं। उसने सफलता का श्रेय अपने शिक्षक और माता-पिता को दिया।