छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ एनएसयूआई का प्रदर्शन, केंद्र सरकार पर साधा निशाना
संसद के घेराव के दौरान गिरफ्तार किए गए एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और छत्तीसगढ़ रायपुर के दिल्ली प्रभारी हनी बग्गा को 24 घंटे बाद जमानत मिल गई। दोनों नेताओं को दिल्ली पुलिस ने गैर-जमानती धाराओं में मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था। रिहाई के बाद हनी बग्गा ने मीडिया से बातचीत में केंद्र सरकार को ‘छात्र विरोधी’ बताया और कहा कि यह लड़ाई जारी रहेगी।
संसद घेराव और गिरफ्तारी का घटनाक्रम 24 मार्च को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एनएसयूआई द्वारा संसद घेराव आंदोलन किया गया। इस प्रदर्शन में देशभर से हजारों छात्र-कार्यकर्ता शामिल हुए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में यह विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ।
इस दौरान एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और दिल्ली प्रभारी हनी बग्गा समेत कई कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन पर गैर-जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
पांच प्रमुख मांगों को लेकर संसद घेराव एनएसयूआई ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ पांच प्रमुख मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया: यूजीसी के तानाशाही नियमों का विरोध नई शिक्षा नीति (NEP 2020) को वापस लेने की मांग
छात्र संघों पर लगे प्रतिबंध का विरोध शिक्षा के भगवाकरण के खिलाफ आंदोलन परीक्षा पेपर लीक और बढ़ती बेरोजगारी पर रोक ‘यह आंदोलन रुकेगा नहीं’ – हनी बग्गा रिहाई के बाद मीडिया से बातचीत में हनी बग्गा ने कहा, “हमने छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए देशव्यापी संसद घेराव किया था। लेकिन सरकार छात्रों की आवाज़ दबाना चाहती है। केंद्र सरकार अब विश्वविद्यालयों में लोकतंत्र को खत्म कर रही है और आरएसएस की विचारधारा को थोप रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और मुझे गैर-जमानती धाराओं में फंसाया गया, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। यह आंदोलन और तेज होगा और हम केंद्र सरकार को उसकी छात्र विरोधी नीतियों के लिए जवाबदेह बनाएंगे।”
राहुल गांधी ने किया समर्थन राहुल गांधी ने भी इस आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि मोदी सरकार शिक्षा और रोजगार देने में विफल रही है। उन्होंने छात्रों की आवाज़ को दबाने के लिए पुलिस कार्रवाई की निंदा की। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि यह आंदोलन यहीं नहीं रुकेगा। आने वाले समय में संगठन और आक्रामक रणनीति अपनाएगा। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से भले ही आंदोलनकारियों को रोकने की कोशिश की गई हो, लेकिन छात्र संगठन इसे सरकार की तानाशाही मानकर और उग्र विरोध करने के मूड में हैं।
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